कला

कहां खो गई थीं मधुबाला

मुंबई | संवाददाता: मधुबाला यानी मुमताज जहां बेगम देहलवी अगर आज जिंदा होतीं तो अपना 86 वां जन्मदिन मना रही होतीं. लेकिन 36 साल की उम्र में 66 फ़िल्मों में काम करके धरती को अलविदा कह देने वाली मधुबाला ने फिल्मी परदे पर जो कुछ रचा है, उसने उन्हें अमर कर दिया.

सौंदर्य की प्रतिमूर्ति कही जाने वाली मधुबाला आज भी भारतीय फ़िल्म जगत में दिलचस्पी रखने वालों लाखों लोगों की दिल की धड़कन बनी हुई हैं. यही कारण है कि आज गूगल ने भी डूडल बना कर उन्हें याद किया है.

दिलचस्प ये है कि 66 फ़िल्मों में शानदार अभिनय का यह कारनामा उन्होंने महज 27 साल में ही कर डाला था. जीवन के अंतिम 9 साल तो उन्होंने अपने घर में लगभग बंद हो कर ही गुजारे थे.

जन्म से ही दिल में छेद की बीमारी के कारण तरह-तरह की मुश्किलों को झेलने वाली मधुबाला का इलाज उस जमाने में संभव नहीं था. डॉक्टरों की हिदायत थी कि वे अधिक से अधिक आराम करें. लेकिन उनके पिता ने उन्हें शौहरत और पैसे की एक ऐसी दुनिया में डाल दिया था, जहां आराम जैसी किसी चीज़ के लिये कोई जगह नहीं थी.

9 साल की उम्र में 1942 में उन्होंने बसंत फिल्म से काम की शुरुआत की थी और फिर यह सिलसिला 1960 तक चला. 1960 में उन्होंने अपनी ज़िंदगी की अंतिम फिल्म की थी-मुगल-ऐ-आजम. इस फ़िल्म ने तो जैसे उन्हें अमर कर दिया.

लेकिन फ़िल्मों के इस अमर होने वाले सफर में मधुबाला कहीं गुम गई थीं.

1957 में फ़िल्मफेयर पत्रिका ने इंडस्ट्री के लोगों से अपने बारे में लिखने के लिये कहा था. मधुबाला ने लिखा-मैं खुद को खो चुकी हूं. ऐसे में खुद के बारे में क्या लिखूं. मुझे ऐसा लग रहा है कि आपने मुझे उसके बारे में लिखने को कहा है, जिसे मैं नहीं जानती.

उन्होंने गहरी पीड़ा और दुख के साथ लिखा-समय ने मुझे खुद से मिलने का वक्त नहीं दिया. जब मैं पांच साल की थी तो किसी ने मेरे बारे में पूछा नहीं और मैं इस भूल भुलैया में आ गई. फिल्म इंडस्ट्री ने मुझे पहली सीख यही दी थी कि आपको अपने बारे में सबकुछ भूलना होता है, सबकुछ खुद को भी तभी आप एक्ट कर पाते हैं, ऐसे में मैं खुद के बारे में क्या लिखूं.

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