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मध्यप्रदेश में दलित छात्र का उत्पीड़न

भोपाल | समाचार डेस्क: भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में एक दलित छात्र को प्रताड़ित किए जाने का मामला सामने आया है. दलित छात्र द्वारा आत्महत्या की धमकी दिए जाने पर उसके समर्थन में कई छात्र संगठनों से जुड़े छात्रों ने विश्वविद्यालय के सामने प्रदर्शन किया, जिन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

मामला एम. फिल के छात्र अनुसूचित जाति के महेश ममोरे को छात्रवृत्ति और आवास भत्ता न दिए जाने का है. महेश ने अपना हक पाने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति बी.के. कुठियाला और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगाई, मगर उस पर सुनवाई नहीं हुई तो उसने आत्महत्या की धमकी दे डाली.

दलित छात्र के समर्थन में सोमवार को भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया सहित अन्य छात्र संगठनों के प्रतिनिधि विश्वविद्यालय में जुटे, जिन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

महेश की ओर से सार्वजनिक तौर पर जारी किए गए एक पत्र में कहा गया है कि उसे सात माह से छात्रवृत्ति और आवास भत्ता नहीं मिल रहा है. वह अगस्त, 2015 से इसके लिए प्रयासरत है.

महेश के मुताबिक, उसने अपना हक पाने के लिए मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से लेकर सीधे कुलपति से संपर्क किया, मगर हर तरफ से निराशा हाथ लगी. इसके बाद उसने सात मार्च को मुख्यमंत्री और कुलपति को मेल किया और छात्रवृत्ति व आवास भत्ता न मिलने पर आत्महत्या की चेतावनी दी.

दलित छात्र को छात्रवृत्ति व आवास भत्ते का भुगतान न होने का मामला सामने आने पर भाराछासं, एसएफआई, एआईएसएफ सहित कई अन्य संगठनों के छात्रों ने सोमवार को विश्वविद्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया. पुलिस ने कुछ छात्रों को रास्ते में, तो कुछ को विश्वविद्यालय परिसर से हिरासत में लिया.

महेश ने कहा कि विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ा वर्ग के सौ से ज्यादा छात्र ऐसे हैं, जिन्हें परेशान किया जा रहा है. उन्हें छात्रवृत्ति, आवास भत्ता, स्टेशनरी आदि की सुविधा नहीं मिल रही है. सोमवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने उसके खाते में तीन माह की छात्रवृत्ति राशि जमा करा दी है.

महेश का आरोप है कि जो भी छात्र अपना हक मांगता है, उसे डराया धमकाया जाता है. ऐसा अमूमन हर आरक्षित वर्ग के छात्र के साथ हो रहा है. कई-कई माह तक छात्रवृत्ति नहीं मिलती है.

वहीं विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव (प्रॉक्टर) लाजपत आहूजा ने कहा कि प्रशासन को जैसे ही छात्र की छात्रवृत्ति न मिलने का पता चला, उसके तुरंत बाद राशि को उसके खाते में जमा करा दिया गया है. वैसे यह राशि शासन से आती है, मगर अभी नहीं आई है. इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपनी ओर से आवश्यक पहल की है.

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