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मप्र में सड़को पर उतरे अध्यापक

भोपाल | समाचार डेस्क: मध्य प्रदेश के भोपाल में ‘समान कार्य समान वेतन’ की मांग पर अध्यापकों ने जमकर प्रदर्शन किया. सरकार और प्रशासन के सख्त तेवर भी नगरीय निकाय और पंचायतों के अधीन कार्यरत अध्यापकों को शिक्षा विभाग में संविलयन और ‘समान कार्य समान वेतन’ की मांग को लेकर राजधानी भोपाल की सड़कों पर उतरने से नहीं रोक सके. राज्य में हर तरफ अध्यापकों की गिरफ्तारी का दौर चलता रहा, फिर भी सैकड़ों अध्यापक भोपाल में प्रदर्शन करने में कामयाब रहे. दूसरी ओर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बातचीत से हल निकालने का भरोसा दिलाया है.

मध्यप्रदेश सीपीएम के सचिव बादल सरोज ने कहा है कि अध्यापकों के नेताओं को बातचीत के लिए डीपीआई कार्यालय बुलाकर गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जाना मध्यप्रदेश के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना है. हड़तालें इससे पहले भी हुयी हैं, समझौते की वार्ताएं टूटी भी हैं, मगर चर्चा में समाधान न निकलने पर वार्ताकारों को गिरफ्तार करने का जो काम किया गया है वैसा तो शत्रु राष्ट्र के साथ भी नहीं किया जाता. बड़े बड़े युध्दों के दौरान देशो के दूत आते हैं और अपनी कह के चले जाते हैं.

बादल के अनुसार अभी हाल ही में मिजोरम-मणिपुर के उन संगठनों से बातचीत की गयी जो दशकों से हमलावर कार्यवाहियों में संलग्न है, अवैध तक घोषित किये जा चुके हैं. उन बातचीतों के सकारात्मक नतीजे भी निकले. लगता है व्यापमी सरकार अपने अध्यापकों को शत्रु राष्ट्र तथा पृथकतावादी संगठनों से भी ज्यादा खतरनाक समझती है.

माकपा नेता ने बता कि आज प्रदेश भर में बस स्टैंड्स, रेलवे स्टेशन्स तथा राष्ट्रीय राजमार्गों पर चुन चुन कर की गयी गिरफ्तारियां सरकार की बर्बर अप्रजातांत्रिकता और पीड़ित समुदायों के प्रति हिकारत का प्रतीक है. दो बड़े त्योहारों के बीच अध्यापकों जैसे पढेलिखे तबके के साथ इस तरह का बर्ताब निंदनीय और लज्जाजनक है.

उल्लेखनीय है कि राज्य के अध्यापक अपनी मांगों को लेकर 13 सितंबर से आंदोलनरत हैं. उच्च न्यायालय द्वारा आंदोलन को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद सरकार के तेवर भी सख्त हो गए हैं. वहीं अध्यापक शुक्रवार को भोपाल में तिरंगा रैली निकालकर मुख्यमंत्री आवास घेरने पर अड़े रहे. राज्य के विभिन्न स्थानों पर पूरे दिन अध्यापकों की गिरफ्तारी का दौर चलता रहा, राजधानी की ओर कूच करने वाले अध्यापकों को भोपाल से बाहर ही रोक दिया गया.

अध्यापकों के प्रतिनिधियों ने बताया कि सरकार व प्रशासन की दमनात्मक कार्रवाई के बावजूद बड़ी संख्या में अध्यापक लाल घाटी चौराहे पर पहुंच गए. अध्यापकों की संख्या देख पुलिस के भी हाथ-पैर फूल गए. उसने आंदोलनकारियों पर हल्का बल प्रयोग कर उन्हें हिरासत में लिया. पुलिस कुछ प्रदर्शनकारियों को जब तक वाहनों में भरती, तब तक कई और प्रदर्शनकारी सामने आ जाते. यह सिलसिला शाम तक चला. इसमें महिला अध्यापक भी बड़ी संख्या में थीं.

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा, मगर इतना जरूर कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है.

अध्यापकों के आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री चौहान ने संवाददाताओं से कहा, “हमारी सरकार सदैव शिक्षकों के साथ रही है, किसी की कोई मांग हो, उसे पूरा करने में समय लगता है. इनकी ऐसी मांगें हैं, जिनमें करोड़ों रुपये लगने हैं. इस पर वित्त विभाग और बाकी सभी से बात करना पड़ती है. इसमें समय लगता है. इतना ही नहीं, एक तरफ सूखे का संकट है और अन्य परेशानियां भी हैं. प्रशासन ने अध्यापकों से आग्रह किया था कि वे अभी आंदोलन न करें.”

उन्होंने आगे कहा कि प्रशासन ने जहां अध्यापकों के सामने अपनी बात रखी थी, वहीं यह भी कहा था कि शुक्रवार को बकरीद का दिन है, कानून व्यवस्था की समस्या रहती है, इसलिए इस दिन प्रदर्शन न करें, क्योंकि बड़ा ही संवेदनशील मामला होता है. कानून व्यवस्था देखना प्रशासन का काम है, ताकि कोई अव्यवस्था न फैले.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग इस आंदोलन को भड़काऊ दिशा में ले जाना चाहते हैं, एक तस्वीर पिछले दिनों सोशल मीडिया पर आई, जिसमें पुलिस वाला एक व्यक्ति के सिर पर पैर रखे है, यह तस्वीर मध्य प्रदेश की थी ही नहीं. सरकार शिक्षकों के साथ और चर्चा के लिए हमेशा द्वार खोले हुए है.

वहीं कांग्रेस ने अध्यापकों पर सरकार और प्रशासन की दमनात्मक कार्रवाई की निंदा की. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने एक बयान जारी कर कहा कि राज्य में ‘अघोषित आपातकाल’ लगा है, उसे बच्चों का भविष्य संवारने वाले अध्यापकों की नहीं, बल्कि विदिशा में चल रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिविर की चिंता ज्यादा है.

गुरुवार को अध्यापक संयुक्त मोर्चा के आंदोलनकारियों और स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई थी, मगर वह विफल रही. बैठक से बाहर निकलते ही आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. गुरुवार को हुई अध्यापकों की गिरफ्तारी पर लोक शिक्षण के आयुक्त डी.डी. अग्रवाल ने कहा कि बैठक में कोई फैसला नहीं हो पाया था, कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए प्रशासनिक कार्रवाई की गई.

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