राष्ट्र

ममता-जया की धमाकेदार वापसी

नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: विधानसभा चुनावों में ममता तथा जयललिता ने धमाकेदार वापसी की है. भाजपा ने पहली बार असम में अपना परचम फहराया है. कांग्रेस को केरल तथा असम की सत्ता से हाथ धोना पड़ा है. कांग्रेस के लिये संतोष की बात पड्डुचेरी में डीएमके के साथ गठबंधन रहा है. कांग्रेस का गठबंधन तमिलनाडु तथा पश्चिम बंगाल में फेल रहा.

कुलमिलाकर शुक्रवार को आये नतीजे ममता, जयललिता तथा भाजपा के लिये अच्छे रहें हैं. लेफ्ट को केरल में जरूर जीत मिली है परन्तु पश्चिम बंगाल में जिस तरह से उसे पिछले बार की तुलना में कम सीटें मिली हैं वह चौकाने वाला है. लेफ्ट को केरल में मिली जीत की खुशी को पश्चिम बंगाल में मिली करारी हार ने फीका कर दिया है. उलट कांग्रेस की सीटें पश्चिम बंगाल में बढ़ गई हैं.

राजनीतिक प्रेक्षक जिस दिन का इंतजार कर रहे थे वह ढलने वाला है. अब आशंकाओँ के बादल छट गये हैं तथा पांच राज्यों की राजनीतिक छवि उभर कर सामने स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है. इसमें आने वाले भविष्य के पदचाप की आवाज़ सुनी जा सकती है. भाजपा के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा दिल्ली तथा बिहार की हार के बाद सुदूर उत्तर-पूर्व के असम में अपने जीत का डंका बजाकर अब उत्तरप्रदेश की ओर रुख किये हुये हैं.

अब तक जो जीत तथा बढ़त के रुझान आये हैं उसके अनुसार भाजपा को बिहार में मिली हार के बाद एक नया ठिकाना मिल गया है जहां से साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ताल ठोंका जा सके. असम में भाजपा की जीत ने उत्तरांचल के कड़वे अनुभव के बाद मिठास का अहसास करा दिया है.

लेफ्ट के लिये चिंतन का विषय यह है कि आखिरकार क्यों इतने जतन करने के बावजूद भी उसे पश्चिम बंगाल में पिछले बार की तुलना में कम सीटें मिली हैं. लेफ्ट तो यह उम्मीद कर रही थी कि इस बार बंगाल में ममता को करारी हार का मजा चखा देगी परन्तु हुआ ठीक उसके उलट है. ममता बनर्जी के तृणमूल कांग्रेस ने 210 का आकड़ा पार कर लिया है. शारदा चिटफंड घोटाले के बावजूद बंगाल की जनता ने उसी सरकार को चुना है जिसके कई मंत्रियों तथा बड़े नेताओं पर इसमें शामिल होने का आरोप लगा है. मानना पड़ेगा कि ममता में विपरीत परिस्थिति में भी चुनावी नैय्या को पार लगाने की क्षमता है.

उधर जयललिता लगातार तमिलनाडु का चुनाव जीत गई है. पिछले दो-तीन दशकों से तमिलनाडु में कोई पार्टी लगातार दूसरी बार नहीं जीत सकी थी. इसी कारण डीएमके गठबंधन जीतने का दावा पेश कर रही थी.

केरल में लेफ्ट ने पहले से ज्यादा सीटें जीती हैं. केरल में बारी-बारी से एक बार लेफ्टफ्रंट तथा एक बार कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनती रहती है. इस बार पहले से तय माना जा रहा था कि केरल में लेफ्ट ही जीतेगी. हां इतना जरूर है कि केरल में लेफ्ट ने अपने गढ़ को फिर से जीत लिया है परंपरा ही सही परन्तु जीत तो आखिर जीत ही मानी जाती है.

ढलती शाम ममता, जया तथा भाजपा के लिये खुशियां लेकर आया है और लेफ्ट को गंभीर चिंतन करने का इशारा कर रहा है. पांच राज्यों के चुनावी नतीजों राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा के लिये अच्छे दिन लेकर आया है वहीं कांग्रेस तथा लेफ्ट को अपने आप को प्रासंगिक बनाने की सलाह दे रहा है.

error: Content is protected !!