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कोयले से मनमोहन का ‘हाथ काला’

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: कोयला घोटाले की आंच अब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक पहुंच गई है. आंच तो पहले भी पहुंची ती परन्तु उन्हें कानूनी तौर पर इससे जुदा रखा गया था. अब सीबीआई की अदालत नें सीबीआई की अंतरिम रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुये उन्हें सम्मन जारी कर दिया है. उल्लेखनीय है कि कोयला घोटाले के समय मनमोहन सिंह ही कोयला मंत्रालय का काम देखते थे. जाहिर सी बात है कि उस समय फैसले अनके मर्जी के बगैर नहीं लिये जा सकते थे. बहपहाल, मनमोहन सिंह को अदालत द्वारा सम्मन जारी किये जाने के बाद कांग्रेस उनके बचाव में उतर गई है. कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में दिल्ली की एक विशेष अदालत ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पी.सी.पारेख को सम्मन जारी किया है और इस मामले को आपराधिक षड़यंत्र करार दिया है. मनमोहन सिंह ने कहा कि वह खिन्न हैं, लेकिन उन्हें भरोसा है कि सच्चाई सामने आएगी.

अदालत के सम्मन पर कांग्रेस के नेताओं ने उनके पक्ष में बयान देकर उनका बचाव करने की कोशिश की है.

भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री कांग्रेस पार्टी के पाप की कीमत चुका रहे हैं.

विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने केंद्रीय जांच ब्यूरो की अंतिम रपट पर संज्ञान लेते हुए हिंडाल्को के अधिकारियों -शुभेंदु अमिताभ और डी.भट्टाचार्या- को भी सम्मन भेजा है. इन सभी को आठ अप्रैल को अदालत में पेश होना है.

तत्कालीन कोयला मंत्री को हालांकि सीबीआई ने अपनी मूल प्राथमिकी में आरोपी नहीं बनाया था, फिर भी उन्हें आपराधिक षडयंत्र रचने, आपराधिक विश्वासघात और भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत सम्मन जारी किया गया है.

सभी को ओडिशा के तालाबीरा-2 और 3 कोयला ब्लॉक का आवंटन हिंडाल्को को 2005 में किए जाने के मामले में आरोपी के रूप में सम्मन जारी किया गया है.

इस सम्मन पर प्रतिक्रिया में मनमोहन सिंह ने कहा कि वह पहले ही सीबीआई के समक्ष अपना पक्ष रख चुके हैं. सिंह 10 साल तक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री रह चुके हैं.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “निश्चित रूप से मैं निराश हूं लेकिन यह जीवन का हिस्सा है. मैं न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करता हूं. मैंने सीबीआई के सामने अपना पक्ष रख दिया है. हमने जो कुछ भी किया है, उसे जायज ठहराते हुए एक बयान भी जारी किया है.”

मनमोहन ने कहा, “मैंने हमेशा कहा है कि मैं वैधानिक जांच के लिए तैयार हूं. मुझे विश्वास है कि सच्चाई की जीत होगी और मुझे सभी तथ्यों के साथ अपनी बात रखने का मौका मिलेगा.” उन्होंने कहा कि वह सम्मन को चुनौती देने के लिए अपने वकील से चर्चा करेंगे.

अदालत ने कहा कि हिंडाल्को को तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक देने के लिए कोयला मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के विभिन्न स्तरों के विभिन्न लोकसेवकों को शामिल करते हुए एक सुनियोजित कार्य को अंजाम दिया गया था.

अदालत ने कहा कि इस प्रक्रिया में 25वीं चयन समिति की सिफारिशों की अवहेलना की गई और इसके लिए ऐसी प्रक्रिया अपनाई गई, जो मंजूर किए गए दिशानिर्देशों और कानून के शासन से मेल नहीं खाते.

अदालत ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले में अतिरिक्त अनुचित रुचि ली और पत्र और टेलीफोन दोनों ही माध्यमों से कोयला मंत्रालय को यह याद दिलाया कि हिंडाल्को को तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक के आवंटन की प्रक्रिया शीघ्रता से पूरी की जाए.

अदालत ने कहा, “मौजूदा मामले में मनमोहन सिंह ने कोयला मंत्रालय अपने पास रखने का निर्णय लिया और इसलिए प्रथम दृष्टया वह यह नहीं कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री होने के नाते उनसे यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह हर मामले की छोटी-से-छोटी बातों पर गौर करें.”

बिड़ला की भूमिका पर अदालत ने कहा कि एक औद्योगिक घराने के प्रमुख होने के नाते उन्होंने भट्टाचार्य और अमिताभ के साथ मिलकर राजनीति और नौकरशाही में अपने रसूख का इस्तेमाल किया और तालाबीरा-2 का आवंटन सुनिश्चित किया.

अदालत ने गत वर्ष 16 दिसंबर को सीबीआई की समापन रपट को खारिज करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बयान दर्ज करने के निर्देश दिए थे.

मनमोहन सिंह का बचाव करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी को विश्वास है कि सभी तथ्यों की जांच के बाद आवंटन का औचित्य उसकी पारदर्शिता स्थापित हो जाएगी.

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत द्वारा मनमोहन सिंह को सम्मन भेजे जाने से वह स्तब्ध हैं.

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