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माओवादियों ने बनाया विशेष अभियान समूह

कोलकाता | संवाददाता: छत्तीसगढ़ और झारखंड में बड़े हमले के बाद नक्सलियों ने हाल ही में एक विशेष अभियान समूह बनाया है. आईबी के एक अधिकारी की मानें तो माओवादियों की सक्रियता वाले नौ राज्यों के कैडरों और इस विशेष समूह का प्रभार पार्टी के केंद्रीय सैन्य आयोग के हाथ में सौंपा गया है. इनमें छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की महिला माओवादियों की संख्या बहुत अधिक है.

इस विशेष अभियान समूह को जंगल युद्ध और गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दी जा रही है और ये भी सिखाया जा रहा है कि कैसे बिना राशन के घने जंगलों में गुजारा किया जाए. इसके साथ ही उन्हें ड्रोन एयरक्राफ्ट से बचने के गुर भी सिखाए जा रहे हैं.

इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा है कि एक के बाद एक नक्सली हमलों से लगता है कि नक्सली राजनेताओं को निशाना बना रहे हैं और वे क्षेत्रीय दलों को खत्म करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि एक के बाद एक छत्तीसगढ़ में, फिर झारखंड में और अब बिहार में जिस तरह से नक्सली हमला हुआ है, वह बताता है कि नक्सलियों का अगला निशाना बंगाल, ओडीशा या आंध्रप्रदेश हो सकता है.

ममता बनर्जी ने कहा कि इन मामलों में केंद्र सरकार लापता है. उन्होंने आरोप लगाया कि रोजमर्रा के कामकाज में तो केंद्र सरकार हस्तक्षेप करती है लेकिन वह देश की आम जनता की सुरक्षा को लेकर उतनी ही सुस्त है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह लोकसभा चुनाव से पहले राज्यों को अस्थिर करने, राजनेताओं की हत्या करवाने और क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की साजिश तो नहीं है, जिससे केंद्र के खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ दबा दी जाये.

दूसरी ओर आईबी के एक अधिकारी का कहना है कि माओवादियों के पिछले दो अभियानों में यह बात गौर करने लायक रही है कि कुछ माओवादियों ने अनियंत्रित रूप से गोलियां चलाईं, जिससे पता चलता है कि घात लगाकर कांग्रेसी नेताओं की हत्या करने वाले कई कैडर नौसीखिए थे. इसी वजह से उन्होंने विशेष अभियान समूह बनाकर अपने कैडरों को अपने गोला-बारुद का अनुकूलतम इस्तेमाल करने और कम से कम समय में आक्रमण समाप्त कर भागना सिखाना शुरु किया है. मूलतः ये ऐसे समूह होंगे जिनका काम आक्रमण करना और भाग जाना होगा.

आईबी अधिकारी बताते हैं कि अब माओवादियों के केंद्रीय नेतृत्व ने निचले रैंक के पुलिस अधिकारियों और गांव वालों के बीच मौजूद संदिग्ध खबरियों की हत्या नहीं करने का निर्णय लिया है.

इस अधिकारी के अनुसार, “उन्होंने तय किया है कि सिर्फ पुलिस के उच्चाधिकारियों, बड़े व्यवसायी, राजनेताओं को ही वर्गशत्रु माना जाए और जड़ से मिटा दिया जाए जिससे कि आदिवासियों का विश्वास पुनः प्राप्त किया जा सके. उन्होंने ऑपरेशन ग्रीनहंट के कारण अपने कई आधार खो दिया थे लेकिन सलवा जुड़ूम के नेता महेंद्र कर्मा की हत्या करने के बाद वे छत्तीसगढ़ और झारखंड में बड़ी तेजी से एकजुट हो रहे हैं”

अभी इस विशेष समूह में 200 सदस्य हैं, जिसमें पश्चिम बंगाल के जंगल महल इलाके के कम से कम 15 माओवादी हैं. माओवादियों की पश्चिम बंगाल यूनिट को कई अभियानों के संचालन में गड़बड़ी करने के लिए कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी है और राज्य यूनिट के विरोध के बाद भी इसे झारखंड पार्टी यूनिट के प्रभार में भेज दिया गया है.

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