प्रसंगवश

मुकेश को जेड, जनता को बीपीएल सुरक्षा

सोलहवीं लोकसभा के चुनावी समर में उतरने के पहले मनमोहनी सरकार बाकी के बचे पुनीत कार्यों को भी अंजाम देती जा रही है. देश के सबसे अमीर तथा रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी को सरकार ने जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया करा दी है. इससे पहले गरीबी की रेखा के नीचे रहने वालों को बीपीएल कार्ड की सुरक्षा दी जा चुकी है. विश्व बैंक के पूर्व उच्चाधिकारी तथा उसके पेंशनधारी मनमोहन सिंह की समझ देश के बारे में एकदम स्पष्ट है तथा इसे छुपाने की वे कोशिश भी करते हैं.

जिसके पास खाने की, पहनने की, रहने की, शिक्षा की, नौकरी की सुरक्षा न हो उसे उसकी जरूरत के मुताबिक सुरक्षा दी जा रही है. उन्हें बीपीएल कार्ड दिया गया है, जो जीने लायक चावल, सरकारी अस्पतालों में मुफ्त एवं निजी चिकित्सालयों में तीस हजार तक की चिकित्सा मुहैया करवाता है, इन में से किसी को आतंकवादी संगठन धमकी नहीं देते. सीधे बम से उड़ा देते हैं. इसलिये इन्हें किसी भी प्रकार की सुरक्षा देने की आवश्यकता नही है. ये तो जैसे आये हैं, वैसे ही चले जायेंगे. सुरक्षा तो उन्हें दी जाती है, जिन्हें धमकियां मिल रही हों.

सुरक्षा के लाव लश्कर की आवश्यकता तो मुकेश अंबानी जैसे विशिष्ट तथा मलाईदार तबके के लोगों को पड़ती है. इनके पास अकूत संपदा है, जिसकी देखभाल करने के लिये अलग से अमला रखा जाता है. मुकेश की संपत्ति ही एक लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा की है. उनका साम्राज्य दो लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा है. पांच हजार करोड़ रुपयो से ज्यादा के एंटीलिया में वे निवासरत् हैं. जहां भी जाते हैं, स्वयं के हैलीकाप्टर में उड़ के या मर्सीडीज़ में लदकर जाते हैं. ऐसे में यह सरकार का पुनीत कर्तव्य हो जाता है कि इनके बेशकीमती जान की जिम्मेवारी अब अपने कंधों पर ले लिया जाये.

मोम की गुड़िया कहलाने वाली इंदिरा गांधी जब देश की प्रधानमंत्री बनीं तो टाटा एवं बिरला घरानो की तूती बोलती थी. इंदिरा जी टाटा-बिड़लाओ के हाथ में खेलना नही चाहती थी. ऐसे में इंदिरा जी ने धीरूभाई अंबानी जैसे उद्योगपतियो को बढ़ावा दिया. सरकारी नीतियों को ऐसा मोड़ दिया जाने लगा कि अंबानी को फायदा हो. फायदे से कांग्रेस को भी फायदा हुआ, यह अलग बात है.

ये वही धीरू भाई अंबानी थे जिन पर आरोप था कि इन्होंने विदेश में रहते हुए उस देश के सिक्कों को पिघला-पिघला कर बेच कर खूब नाम कमाया था. उनका तो ब्रह्म वाक्य ही था कि पैसे कमाना महत्वपूर्ण है कैसे कमाया जाता है, वो गौण है. उनके सपूत को यदि मनमोहनी सरकार सुरक्षा देती है तो गलत ही क्या है. बम विस्फोट में आम लोगों के मारे जाने पर गृहमंत्री बेशर्मी से कह देते हैं कि देश के हरेक नागरिक की सुरक्षा के लिये उसके साथ तो पुलिस नहीं लगाई जा सकती. जाहिर है, कॉरपोरेट के तौर तरीके से और कॉरपोरेट के इशारे पर चलने वाली सरकार की चिंता में अंबानी तो रहेंगे ही.

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