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मोदी के ‘गुरु’ ने कहा नीतियां बदलें

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री ने नीति आयोग की बैठक में भाषण दिया. सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री तारनम शन्मुगारत्नम ने पिछले दिनों नीति आयोग के ‘ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ कार्यक्रम को करीब 45 मिनट तक संबोधित किया. पूरे समय प्रधानमंत्री मोदी मंच पर बैठने के बजाये अपने कैबिनेट के साथ सामने बैठकर उनका भाषण सुनते रहे. सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री ने कहा, “आप अच्छे विकेट पर बैटिंग कर रहे हैं लेकिन सिंगल्स से काम नहीं चलेगा और हर ओवर में चौके-छक्के मारने होंगे. साथ ही, हर दूसरी पारी में एक शतक भी जड़ना होगा.” उन्होंने कहा भारत को विश्व अर्थव्यवस्था में विशेष स्थान बनाने के लिये अपने मौजूदा नीतियों को बदलना पड़ेगा. जिसे उन्होंने अपने आगे के भाषण में स्पष्ट किया.

प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, ‘ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फ़ैसला था कि वे अपने मंत्रिमंडल के साथ बैठकर इस भाषण को सुनेंगे’. इस बैठक में राज्यों में से डायरेक्टर या उससे ऊपर के स्तर के 1,400 अफसरों को छांटा गया, जिन्हें नीति आयोग की अहम बैठक का हिस्सा बनाने का फ़ैसला खुद प्रधानमंत्री ने लिया.

सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री ने कहा, “दुनिया भर की आबादी में भारत का हिस्सा 18 फ़ीसदी है लेकिन दुनिया भर के निर्यात में भारत का योगदान मात्र 2 फ़ीसदी है. अगर भारत अगले 20 वर्षों में अपने सामर्थ्य तक पहुंचना चाहता है तो इसे बढ़ाना पड़ेगा.”

सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री ने साफ़ कर दिया था, “मैं यहाँ जो भी कहूंगा वो एक दोस्त के नाते ही कहूंगा, भले ही वो सीधी या कड़ी बात हो.” उनकी कही कुछ ख़ास बातें:

*अगर भारत को अपने युवाओं को नौकरी मुहैया करानी है और बेरोज़गारी को कम करना है तो अगले 20 वर्षों में 8-10 फ़ीसदी की आर्थिक बढ़त दर्ज करनी ही पड़ेगी.

*भारत विश्व अर्थव्यवस्था में अपना एक विशेष स्थान बना सकता है लेकिन उसे मौजूद नीतियों को बदलना होगा.

*भारत में नौकरशाही की परंपरा कुछ ज़्याद ही लंबी हो गई है और अब दूसरे लक्ष्यों की ज़रुरत है. भारत ने अब तक अपनी अर्थव्यवस्था में ज़रुरत से ज़्यादा हस्तक्षेप किया है जबकि सामाजिक और मानव संसाधनों में ज़रुरत से कम निवेश किया है.

*भारत को अपनी आर्थिक नियंत्रण वाली नीति त्यागनी पड़ेगी जो निजी निवेश और नई नौकरियों के लिए रोड़ा बनने के अलावा मौजूदा इंडस्ट्री को ही कायम रखती है.

*पिछले 25 वर्षों में काफी तरक्की के बावजूद नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान कराने के मामले में बहुत कमियां हैं.

*साफ़ पीने का पानी, बिजली सप्लाई, अस्पताल का अभाव जैसी कमियां बड़ी चुनौती हैं और तुरंत कार्रवाई की ज़रुरत है.

*जहाँ 1970 के दशक में भारत और चीन की औसत प्रति व्यक्ति आय लगभग बराबर थी, उसमें अब चीन के पास ढाई गुना की बढ़त है.

*भारत में सुधार तो बहुत तेज़ी से हो रहे हैं और ‘आधार कार्ड’ जैसे डिजिटल प्रोजेक्ट की हर जगह तारीफ हुई है.

*लेकिन व्यापक सुधार लाने का एजेंडा अभी भी अधूरा है और बदलाव में तेज़ी लानी होगी.

*मेक इन इंडिया को मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड करना पड़ेगा.

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