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NDA शासनकाल में मालेगांव के गवाह पलटे?

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री चिदंबरम ने सवाल किया कि क्यों एनडीए का शासन आने से मालेगांव धमाकें के गवाह पलट गये. उन्होंने 26/11 के शहीद तथा एसटीएफ के पूर्व प्रमुख हेमंत करकरे को एक ईमानदार अधिकारी करार दिया. पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि मालेगांव विस्फोट मामले से जुड़े गवाहों के पलटने की घटना में एक खास पैटर्न दिखाई देता है, क्योंकि गवाहों के पलटने का सिलसिला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार के सत्ता में आने के बाद शुरू हुआ.

आतंक रोधी दस्ते के तत्कालीन प्रमुख हेमंत करकरे के 26/11 के मुंबई आतंकी हमले में शहीद होने के बाद इस मामले के संदर्भ में चिदंबरम ने मीडियाकर्मियों से कहा, “निश्चित रूप से इसमें एक सिलसिला है. नई सरकार के सत्ता संभालने के बाद गवाह पलट कैसे जाते हैं? अपने त्रुटिरहित रिकार्ड, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए लोकप्रिय रहे एक शहीद पुलिस अधिकारी की यादों को कलंकित क्यों किया गया?” करकरे ने शुरू में मालेगांव विस्फोट कांड की जांच की थी और 14 लोगों को अभियुक्त बनाया था.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मालेगांव विस्फोट मामले की प्रमुख अभियुक्त साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर एवं पांच अन्य को क्लीनचिट दे दी है, उनके खिलाफ आतंक से जुड़े आरोपों को भी हटा दिया है और उनके जेल से जल्द बाहर निकलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है.

इस आरोप पर कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के गृहमंत्री लश्कर-ए-तैयबा के हिसाब से काम कर रहे थे, चिदंबरम ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, “हां हमलोग लश्कर के साथ नाश्ता करते थे और उसके बाद उन्हें खाने पर आने के लिए भी निमंत्रण दिया था. ये सब गैरजिम्मेदाराना बयान हैं.”

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