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ऐसे आया था हिमयुग

लंदन | एजेंसी: हिमयुग के कारणों से संबंधित एक नई परिकल्पना के सामने आई है. जिसके अनुसार उत्तर और दक्षिण अमरीका के जुड़ने से प्रशांत महासागर की लवणता में बदलाव आया, जिसके कारण 26 लाख साल पहले उत्तरी गोलार्ध में बर्फ चादर बनने की क्रिया में वृद्धि हुई.

खारेपन में बदलाव से सागर में बर्फ जमने में वृद्धि हुई, फलस्वरूप वायु के स्वरूप में बदलाव हुआ और मानसून में तेजी आई.

बदले और तेज मानसून से मौसम में आर्द्रता बढ़ी और बर्फबारी में वृद्धि हुई और जिससे धरती पर बर्फ की चादरें बनने लगी. इनमें से कुछ बर्फ की चादरें तीन किलोमीटर तक मोटी थीं.

शोधकर्ताओं की एक टीम ने तिब्बत के पठार के पास उत्तर-मध्य चीन में 60 से 25 लाख साल पहले हवा के साथ उड़कर आई धूल जिसे लाल मिट्टी कहते हैं, का विश्लेषण किया.

लंदन विश्वविद्यालय के रॉयल हॉलोव के थॉमस स्टीवेंस ने बताया, ” ‘हमारे परिणाम दर्शाते हैं कि बर्फ की चादरों में वृद्धि और मानसून और पनामा समुद्री मार्ग बंद होने के बीच महत्वपूर्ण संबंध है.”

उन्होंने कहा, “ये परिणाम हिमयुग के असली कारणों और हमारी वर्तमान जलवायु प्रणाली पर एक नई परिकल्पना उपलब्ध कराते हैं.”

शोधकर्ताओं ने आश्चर्यजनक रूप से पाया कि वैश्विक शीतलन के समय मानसून, भारी वर्षा की बजाय सामान्य गर्म जलवायु से जुड़ा था.

स्टीवेंस ने बताया, “इसने हमें अमेरिका में विवर्तनिक गतिविधियों और वैश्विक तापमान में नाटकीय परिवर्तन के पूर्व में अज्ञात बातों का पता लगाने को प्रेरित किया.”

तेज मानसून से वैश्विक शीतलन, सागरीय बर्फ और उत्तरी गोलार्ध में बड़े ग्लेशियर बढ़े.

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