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‘किशोर’ दोषी पर सुप्रीम सुनवाई होगी

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: दिल्ली महिला आयोग के हस्तक्षेप पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 16 दिसम्बर, 2012 को हुए जघन्य सामूहिक दुष्कर्म के ‘किशोर’ दोषी पर सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार को सुनवाई होगी. यह सुनवाई दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल की विशेष याचिका पर हो रही है, जिसे उन्होंने रविवार देर रात दायर किया. मालीवाल और दिल्ली महिला आयोग की कानूनी टीम ने यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय में देर रात दायर की. न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए सोमवार का दिन तय किया है, जबकि दोषी की रिहाई रविवार यानी 20 दिसम्बर को ही होनी है.

मालीवाल ने देर रात संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “देश के प्रधान न्यायाधीश ने हमारी बात सुनी और मामले को न्यायमूर्ति आदर्श गोयल तथा न्यायमूर्ति उदय ललित की अवकाश पीठ के पास भेज दिया.”

उन्होंने कहा, “न्यायालय ने अनुरोध स्वीकार कर लिया है और इसे सोमवार की सुनवाई के लिए क्रम संख्या तीन के रूप में सूचीबद्ध किया है.”

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा, “चूंकि मामला अब दर्ज हो गया है और न्यायालय के अधीन है, इसलिए ‘निर्भया’ के दुष्कर्म व हत्या के दोषी को रविवार को रिहा नहीं किया जाना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि ‘निर्भया’ के सामूहिक दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए गए किशोर अपराधी को मामले की सुनवाई होने तक किशोर सुधार गृह में ही रखा जाएगा.”

सर्वोच्च न्यायालय में दायर विशेष याचिका में आयोग ने तब तक ‘किशोर’ अपराधी को रिहा नहीं करने का अनुरोध किया है, जब तक कि उसकी मानसिक स्थिति में सुधार की बात सुनिश्चित नहीं हो जाती.

आयोग ने अपनी याचिका में लिखा है, “भारत सरकार ने न्यायालय में दायर अपने रुख में कहा है कि ऐसा कोई तथ्य नहीं है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रतिवादी की मानसिकता सुधर गई है. सरकारी एजेंसियों ने विशेष सुधार गृह में उसके व्यवहार और रवैये को लेकर जो रिपोर्ट दी है, उसमें भी कहा गया है कि प्रतिवादी की मानसिकता अब भी आपराधिक और उद्दंडताभरी है, जो महिलाओं के लिए गंभीर खतरा है…”

याचिका में कहा गया है, “ऐसे में प्रतिवादी की मानसिक स्थिति का मूल्यांकन किए बगैर उसकी रिहाई समाज के लिए खतरनाक होगी.”

देश की राजधानी में 16 दिसम्बर, 2012 को चलती बस में हुए सामूहिक दुष्कर्म के वक्त छह में से एक आरोपी किशोर था और इसलिए उसके खिलाफ मुकदमा किशोर न्याय अधिनियम के तहत चला, जिसमें उसे दोषी पाया गया. पर उसकी उम्र 18 साल से कम होने के कारण उसे अधिकतम तीन साल सुधार गृह में रखने का आदेश दिया गया, जिसकी उम्र अब 20 साल है.

अदालत ने इस मामले में ‘किशोर’ और उसके पांच अन्य साथियों को दुष्कर्म और पीड़िता पर बर्बर हमला करने का दोषी पाया. पीड़िता की उसी साल 29 दिसम्बर को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई.

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