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अचानकमार के बाघों पर संकट के बादल

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिज़र्व में बाघों पर संकट गहरा गया है. पिछले सात महीनों से अचानकमार के इलाके में कैमरा ट्रैप लगाने का काम बंद कर दिया गया है. वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि कैमरा ट्रैप नहीं लगाने के फ़ैसले से बाघों की जान ख़तरे में पड़ सकती है.

गौरतलब है कि किसी बाघ द्वारा पशुओं के शिकार के बाद आसपास के इलाके में कैमरा ट्रैप लगाया जाता है, जिससे बाघ के विचरण की स्थिति का पता चलता है. लेकिन पिछले साल मार्च में वन विभाग के कर्मचारियों के साथ मारपीट और शिकारियों को पकड़ने गये रेंजर संदीप सिंह के निलंबन की घटना के बाद से वन विभाग ने कैमरा ट्रैप ही लगाना बंद कर दिया है.

वन विभाग के एक अधिकारी ने चिंता जताते हुये सीजी ख़बर से कहा कि यह भयावह स्थिति है. पिछली घटना से सबक लेते हुये कैमरा ट्रैप ही लगाना बंद कर दिया गया है. न कैमरा ट्रैप में कोई ग्रामीण या शिकारी पकड़ में आयेगा और ना ही उस पर कार्रवाई करने की अनिवार्यता रहेगी.

ज्ञात रहे कि इलाके के विधायक धर्मजीत सिंह अचानकमार टाइगर रिजर्व के मुद्दे पर ग्रामीणों के साथ लगातार खड़े रहे हैं. अचानकमार के इलाके में रहने वाले मतदाता, धर्मजीत सिंह का एकतरफ़ा बड़ा वोट बैंक है. वे हर परिस्थिति में ग्रामीणों के सुख-दुख में खड़े रहते हैं. विधानसभा में उनकी ही मांग के बाद शिकारियों को पकड़ने गये रेंजर संदीप सिंह को निलंबित किया गया था. उनका आरोप था कि वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी ग्रामीणों को प्रताड़ित कर रहे थे.

हालांकि वन कर्मचारियों और देश भर के वन्यजीव विशेषज्ञों की चिट्ठी के बाद राज्य सरकार ने आनन-फानन में संदीप सिंह का निलंबन तो रद्द कर दिया लेकिन कर्मचारियों का हौसला ऐसा टूटा कि अब शिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में भी वन कर्मचारी कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. कर्मचारी कैमरा ट्रैप तक नहीं लगा रहे हैं.

अचानकमार टाईगर रिजर्व एरिया के अंतर्गत 625.195 वर्ग किलोमीटर कोर जोन, 287.822 वर्ग किलोमीटर बफर जोन सहित कुल एरिया 914.017 वर्ग किलोमीटर है. कोर एरिया का 551.552 वर्ग किलोमीटर एरिया अचानकमार वन्यप्रणी अभ्यारण्य में आता है और 74.643 नॉन प्रोटेक्टेड एरिया है.

मामला रेंजर संदीप सिंह का

गौरतलब है कि 30 मार्च 2020 छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिज़र्व में वन्यजीवों के मुख्य निवास स्थल सुरही रेंज में एक तेंदुए की मानवनिर्मित ट्रैप में बुरी तरह घायल अवस्था की तस्वीर कैमरा ट्रैप में आई थी. किसी तरह तेंदुए को काबू में ला कर उसे बिलासपुर के कानन पेंडारी रेस्क्यू सेंटर ले जाया गया, लेकिन लगभग दो सप्ताह बाद इलाज के दौरान तेंदुए की मौत हो गई.

तेंदुए को मारने की नीयत से घायल करने वालों की जांच चल ही रही थी कि लगभग पखवाड़े भर बाद फिर 17 अप्रैल 2020 को, सुरही रेंज में ही घायल तेंदुये वाली जगह के आसपास ही धनुष और तीर से लैश चार ग्रामीणों की तस्वीर कैमरा ट्रैप में आई. इससे यह प्रमाणित हुआ कि उस क्षेत्र में शिकार करने वाले लोगों की लगातार उपस्थिति बनी हुई है. कैमरा ट्रैप में आई तस्वीरों के आधार पर चारों शिकारियों की शिनाख्ती की कार्रवाई शुरु की गई और आसपास के गांवों में पता लगवाया तो पुष्ट सूचना मिली की सभी चारों लोग निवासखार गांव के हैं.

शिनाख्ती सुनिश्चित होने के बाद 02 मई 2020 को वन विभाग के उच्च अधिकारियों के निर्देश पर रेंज वन अधिकारी संदीप सिंह 12 कर्मचारियों और डॉग स्क्वायड की एक टीम के साथ सुरही रेंज के निवासखार गांव में पहुंचे. आरोपियों की पहचान की गई और खून से सने हथियार, धनुष, तीर, तार के जाल आदि पाए गए और आरोपियों को हिरासत में लिया गया. लेकिन आरोपियों को अपने साथ लाने के क्रम में ही उनके परिजनों ने वन विभाग की टीम पर हमला कर दिया.

बंधक बना कर मारपीट

आरोपियों ने गांव के दूसरे लोगों को भी इकट्ठा कर लिया और इसके बाद दो आदिवासी महिला वन रक्षकों समेत सभी वनकर्मियों को गांव के लोगों ने बंधक बना लिया गया. सभी लोगों के साथ मारपीट की गई, उनसे उठक-बैठक कराई गई, उनके सेलफोन और अन्य सामान छीन लिये. मारपीट और वनकर्मियों के साथ अपमानित करने का यह सिलसिला दोपहर दो बजे से रात आठ बजे तक चलता रहा. बहुत अनुरोध के बाद बड़ी मुश्किल से वन कर्मियों को रिहा किया गया. इसके बाद रिहा किये गये वनकर्मियों को इलाज के लिये अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. रेंज वन अधिकारी संदीप सिंह की हालत गंभीर थी, इसलिये उन्हें अपोलो अस्पताल में कई दिनों तक इलाज के लिये भर्ती रखना पड़ा.

वनकर्मियों पर हुये इस हमले को लेकर अचानकमार टाइगर रिज़र्व की उप निदेशक ने 3 मई को लोरमी थाना में, गांव के 17 हमलावरों के ख़िलाफ ड्यूटीरत सरकारी कर्मचारियों से अपराधियों को छुड़ाने, सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप करने और मारपीट करने की नामजद रिपोर्ट दर्ज़ करवाई.

ग्रामीणों के इस हिंसक हमले की जांच के लिये पुलिस की एक टीम 4 मई को निवासखार गई हुई थी. हमले की आशंका के कारण पुलिस की इस टीम में कुल 72 जवानों को शामिल किया गया था. लेकिन जब पुलिस टीम गांव में पहुंची तो वहां पुलिस टीम पर भी हमला बोल दिया गया. इस हमले में कुछ पुलिस वालों को चोट आई और एक वाहन भी क्षतिग्रस्त हुआ. इस मामले में पुलिस ने 9 लोगों को हिरासत में लिया और 150 ग्रामीणो के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई.

31 जुलाई 2020 शिकारियों और अपराधियों के हमले की आशंका के मद्देनज़र रेंज अधिकारी को सुरही रेंज में नहीं जाने की हिदायत दी गई और बाद में 31 जुलाई 2020 को उनका स्थानांतरण कांकेर वन मंडल में कर दिया गया. इसके बाद 27 अगस्त 2020 विधानसभा में इस मुद्दे को एक विधायक द्वारा उटाये जाने के बाद संदीप सिंह को बिना किसी जांच के निलंबित कर दिया गया.

वन कर्मचारियों ने किया था विरोध

इस निलंबन को लेकर वन विभाग के मैदानी अमले ने भारी विरोध किया था. वन कर्मचारी संगठन से जुड़े लोगों ने वन मंत्री से मुलाकात कर मांग की थी कि अगर सप्ताह भर के भीतर संदीप सिंह की बहाली नहीं होती है तो वे अपना कामकाज बंद कर मुख्यालय में पहुंच जायेंगे.

इस पूरे मामले को लेकर देश के शीर्ष वन्यजीव विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा था कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में शिकार की घटनायें लगातार बढ़ रही हैं. ऐसे में इन्हें रोकने वाले वनकर्मियों को प्रोत्साहित किया जाना ज़रुरी है. इसके उलट वनकर्मियों के ख़िलाफ़ ही अकारण कार्रवाई से वन कर्मचारियों का उत्साह खत्म होगा और वन्यजीव अपराधों को रोकना मुश्किल होगा. इसके बाद जा कर संदीप सिंह की बहाली हो पाई.

लेकिन संदीप सिंह प्रकरण के बाद टाइगर रिजर्व में काम करने वाले कर्मचारियों का हौसला टूट गया. शिकारियों से संबंधित जानकारी एकत्र करने की सीधी कार्रवाई के तौर पर बाघ द्वारा मारे गये पशुओं के आसपास कैमरा ट्रैप नहीं लगाये जाने की कार्रवाई से अचानकमार पर खतरा मंडराने लगा है. यूनेस्को की सूची में दर्ज अचानकमार बॉयोस्फियर में बाघों पर मंडरा रहा संकट कहीं इसकी पहचान और दर्जे को ही न ख़त्म कर दे.

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