राष्ट्र

ममता राज में बलात्कारियों को हिरासत नहीं

कोलकाता | समाचारडेस्क: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के गांव में एक आदिवासी युवती से बलात्कार के आरोपियों की हिरासत मगने के लिये पुलिस अदालत में उपस्थित ही नहीं हुई. जिस कारण से अदालत ने आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. जस बलात्कार कांड की गूंज पाकिस्तान तक में हो रही है उसके आरोपियों को पुलिस हिरासत में लेने के लिये ममता बनर्जी की पुलिस ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.

बलात्कार की शिकार आदिवासी युवती के वकील दिलीप घोष ने कहा, “न तो सरकारी वकील हाजिर हुए और न ही पुलिस ने आरोपियों की हिरासत की मांग की. इसलिए अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी, बोलपुर पिजुष घोष ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.”

पश्चिम बंगाल पुलिस के इस लापारवाही पर विपक्ष ने जमकर हमला बोला है. वाम मोर्चा के अध्यक्ष तथा सीपीएम के पालिट ब्यूरों के सदस्य बिमान बोस ने कहा, “केवल सरकार द्वारा अपराधियों को संरक्षण और बढ़ावा दिए जाने के कारण कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजर रहा है जिस दिन दुष्कर्म या छेड़खानी की घटना नहीं घटती है.”

वहीं कभी ममता बनर्जी की सहयोगी रही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, “यह हमारे लिए अत्यंत शर्म की बात है कि एक महिला मुख्यमंत्री के होते हुए भी महिलाएं क्रूरता की शिकार हो रही हैं.”

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा, “पुलिस का आरोपियों को हिरासत में नहीं लेना इस बात का साफ उदाहरण है कि प्रशासन की अपराधियों के साथ मिलीभगत है और उन्हें राजनीतिक संरक्षण हासिल है.”

गौरतलब रहे कि मंगलवार को पंचायत के निर्दोश पर जुर्माना अदा न कर पाने के कारण गांव की एक 20 वर्षीया आदिवासी युवती के साथ 12 लोगों ने बलात्कार किया था. ऐसी घटना इससे पहले कभी सुनने में नहीं आयी जहां रक्षक ही भक्षक को बलात्कार का आदेश देते सुना गया हो. मामले की गंभीरता को देखते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को हटाने का निर्देश दे दिया है. हटाये गये पुलिस अधीक्षक नाम सी सुधाकर है.

कांग्रेस, वाम मोर्चा और भारतीय जनता पार्टी ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया और सरकार पर अपराधियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया. बनर्जी के पुलिस अधिकारी को हटाने का आदेश देने के बाद पुलिस ने कहा कि वे आरोपियों की हिरासत की मांग लेकर अदालत में अपील करेंगे.

माकपा ने पश्चिम बंगाल में महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बढ़ते मामलों पर भी चिंता जताई. पार्टी ने कहा, “इसकी परिणति 16 वर्षीय किशोरी के साथ दोहरे सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद उसकी हत्या घिनौने करतूत के रूप में सामने आई थी. पश्चिम बंगाल में 2011-12 में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के सर्वाधिक मामले दर्ज किए गए.” पार्टी ने महिलाओं के साथ अपराध को रोकने और दोषियों को पकड़ने में तृणमूल कांग्रेस सरकार की असफलता और लापरवाही भरे रवैये के लिए उसकी निंदा की.

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