जान ले सकता है चीन का यह प्लास्टिक राइस
डॉ. संजय शुक्ला
छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के पामगढ़ ब्लॉक के कई स्कूलों में मध्यान्ह भोजन में प्लास्टिक राइस यानी प्लास्टिक का चावल मिले होने का मामला सामने आया है. पीडीएस के द्वारा आपूर्ति किये गये इस चावल को गोला बनाकर जब टेबल पर पटका गया तो यह प्लास्टिक राइस गेंद की तरह उछल रहा था तथा बिना पके हुए चावल को जलाने पर यह प्लास्टिक की तरह जलने लगा. इस चावल को खाने के बाद 8-10 छात्रों ने पेट में दर्द की शिकायतें भी की, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
इसके पहले भी महासमुन्द और कोरबा जिलों के थोक अनाज दुकानों तथा जांजगीर जिले में पीडीएस के जरिये सरकारी अनाज सप्लाई में असली चावल के साथ नकली प्लास्टिक चावल मिलने की खबरें प्रकाश में आयी है. जानकारों का कहना है कि प्लास्टिक चावल को प्राकृतिक चावल में मिलावट करके बेचा जा रहा है.
खाद्य विभाग के अफसरों के अनुसार सोशल मिडिया में चीन से सप्लाई हो रही प्लास्टिक चावल के बाजार में बिकने की खबर वायरल होने के बाद विभिन्न जिलों के थोक चावल व्यवसायियों की दुकानों में खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा छापामार कार्यवाही करते हुए चावल के सैंपल लिये गये हैं. लेकिन अभी तक इन चावलों की जांच रिपोर्ट नहीं आई है.
पिछले साल दिल्ली सहित देश के केरल, गुजरात, आंध्रप्रदेश, उत्तराखंड सहित देश के कई हिस्सों में चीन से आयातित ‘प्लास्टिक चावल’ मिलने का सनसनी खेज मामला प्रकाश में आया था. मीडिया में इस चावल को ‘प्लास्टिक राइस’, ‘सिंथेटिक राइस’ व ‘फेक राइस’ का नाम दिया गया है. वस्तुतः यह चावल प्राकृतिक न होकर कृत्रिम है तथा इसे आलू, शकरकंद और कार्न को पीसकर एवं इसे चावल का आकार देकर इसमें खतरनाक प्लास्टिक इंडस्ट्रीयल सिंथेटिक रेजिन को मिलाया जाता है ताकि यह बिना पके चावल की तरह कड़ा रह सके. पकने पर भी यह चावल कड़ा ही रहता है तथा पके हुए चावल पर एक पतली परत चढ़ जाती है जो कि जलाने पर प्लास्टिक की भॉंति जलती है.
इंडोनेशिया तथा फिलिपिंस में मिले इस प्लास्टिक राइस के नमूनो की प्रारंभिक जांच में इसमें सिंथेटिक प्लास्टिक, पॉलीमर, पॉलीविनाइल, पॉलीविनाइल क्लोराइड यानी पीवीसी जैसे घातक रसायनों का पता चला है जिससे प्लास्टिक बॉटल और प्लास्टिक पाइप बनाये जाते हैं. गौरतलब है कि देश एवं विदेश के चिकित्सकों एवं आहार विषेशज्ञों ने इसे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक और घातक माना है. इन विषेशज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के ‘प्लास्टिक चावल’ के सेवन से लीवर कैंसर, खून की कमी सहित पाचनतंत्र, श्वसनतंत्र, प्रजननतंत्र, किडनी से संबंधित एवं कई हार्मोनल रोग होने की आशंका रहती है.
चीन के चायनिज रेस्टोरेंट एसोसियेशन ने भी स्वीकार किया है कि तीन कटोरी प्लास्टिक राइस को पकाकर खाने पर लगभग एक पॉलीथीन बैग के बराबर प्लास्टिक पेट में पहुंचेगा, यदि सावधानी नहीं बरती गयी तो प्लास्टिक राइस के मार्फत यह मनुष्य के पेट में जायेगा.
असली एवं प्लास्टिक राइस के अंतर को उसके रंग एवं मोटाई से पता लगाया जा सकता है. यदि प्लास्टिक चावल को असली चावल में मिलाया जाता है तो वह पकने के बाद भी कड़ा रहता है तथा इसे उछालने पर यह छोटे गेंद की तरह उछलता है. असली चावल का रंग भूसे आदि के कारण भूरा या हल्का सफेद रहता है जबकि फेक प्लास्टिक चावल सफेद एवं ज्यादा मोटा रहता है तथा पकने पर ऊपर में परत चढ़ जाती है.
दरअसल देश में जारी आर्थिक उदारीकरण और वैष्विक व्यापार के चलते विगत एक दशक के दौरान भारत में चीनी वस्तुओं जिसमें इलेक्ट्रॉनिक खिलौने सहित पावर प्लांट से लेकर भारतीय त्यौहार दीपावली एवं होली में प्रयोग मे आनें वाले दीया, झालर, पटाखे, पिचकारी एवं रंगो की बेतहाशा आवक हो रही है. चीन की भारतीय बाजार की बढ़ती पैठ ने देश के मध्यम, निम्न मध्यम और कुटीर उद्योगों की कमर तोड़ दी है. वहीं अब चीन से आयातित खाद्य एवं पेय पदार्थ लोगों के दम तोड़ने के लिए उतारू हैं.
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण यानी एएसएसएआई और सरकारी तंत्र इन आयातित जिंसो की गुणवत्ता की जांच की दिशा में उदासीन बने हुए हैं. विदेषों से आयातित वस्तुओं की गुणवत्ता जांच व ग्यारंटी नहीं होने का खामियाजा भारतीय उपभोक्ता उठा रहे हैं, फलस्वरूप वह जेब और सेहत दोनों से लुट रहा है. सरकार को इस दिशा में सतर्क होना पडे़गा.
छत्तीसगढ़ का मुख्य भोजन चावल है तथा प्रदेश में सबसे ज्यादा उत्पादन और खपत भी चावल की ही है. ऐसे में राज्य के बाहर से चावल आपूर्ति सवालों के घेरे में है. दूसरी ओर कस्बाई एवं ग्रामीण तबका अनजाने में चावल के साथ मिलावटी घातक प्लास्टिक राइस खरीद रहा है और उसे भोजन के रूप में ग्रहण भी कर रहा है. यह भी संभव है कि इस प्रकार का मिलावटी चावल प्रदेश के अन्य हिस्सों के थोक अनाज दुकानों एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दुकानों में भी उपलब्ध हो. इन स्थितियों में शासन और जिला प्रशासन का दायित्व है कि वह प्रदेश के बाहर से आने वाले चावल के खेप पर कड़ी सर्तकता और निगरानी बरते तथा मिलावटखोरों के खिलाफ सघन अभियान छेड़ें ताकि आम लोगों का सेहत सलामत रह सके.
hamare bloda bazar me bhi ye mamala mila hai plastic ka chawal mila
susaiti me plastic ka chawal diya ja rha hai