राष्ट्र

खून बहेगा, तो पानी रुकेगा

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: पीएम मोदी ने साफ कर दिया खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते. प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को सिंधु जल समझौते पर राजधानी दिल्ली में उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ एक बेठक के बाद यह बात कही. सूत्रों के अनुसार भारत, सिंधु जल समझौते को रद्द नहीं करेगा परन्तु पाकिस्तान तक जल की आपूर्ति करने वाले 6 में से 3 नदियों के पानी को ज्यादा इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है. जाहिर है कि यदि भारत सिंधु नदी के पानी के बहाव को नियंत्रित करता है तो उससे पाकिस्तान को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ सकता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को लेकर उठ रही चिंताओं पर भी बैठक में बात रखी. पीएम ने कहा कि जब चीन संधि का हिस्सा है ही नहीं तो चिंता करने की कोई बात नहीं. दरअसल कहा जा रहा था कि चीन, भारत के लिये सिंधु नदी का पानी रोक सकता है. 1960 में हुए समझौते के तहत आने वाली 6 नदियों में से एक सिंधु नदी की शुरुआत चीन से और दूसरी नदी सतलुज की शुरुआत तिब्बत से होती है.

एक आशंका के मुताबिक कहा जा रहा था कि अगर चीन ने भारत में आने वाले पानी को ही रोक दिया तो फिर हमारे यहां भाखड़ा डैम, कारचम वांगटू हाईड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट और नाथपा झाकरी डैम में पानी नहीं आयेगा.

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के साथ समझौते के अंतर्गत सिंधु नदी की सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में विभाजित किया गया है. सतलज, ब्यास और रावी नदियों को पूर्वी नदी बताया गया जबकि झेलम, चेनाब और सिंधु को पश्चिमी नदी बताया गया है.

1960 में हुई इस समझौते के मुताबिक पूर्वी नदियों का पानी, कुछ अपवादों को छोड़े दें, तो भारत बिना रोकटोक के इस्तेमाल कर सकता है. पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान के लिये होगा लेकिन समझौते के तहत इन नदियों के पानी के सीमित इस्तेमाल का अधिकार भारत को दिया गया, जैसे बिजली बनाना, कृषि के लिए सीमित पानी. अनुबंध में बैठक करने और साइट इंस्पेक्शन का प्रावधान है.

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