राष्ट्र

मनमोहन ने रूस को सराहा

नई दिल्ली | एजेंसी: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी रूस यात्रा के पहले उसकी परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहायता के लिये प्रशंसा की. मनमोहन सिंह ने कहा कि नई दिल्ली, मास्को के तेल एवं गैस क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाना चाहता है. भारत और रूस के बीच विशेष रिश्ते को रेखांकित करते हुए मनमोहन सिंह ने तमिलनाडु के कुडनकुलम परमाणु परियोजना और ठोस सहयोग के क्षेत्र में रूसी हाइड्रो कार्बन का उदाहरण दिया.

सिंह ने अपनी दो दिवसीय रूस यात्रा की पूर्व संध्या पर रूसी समाचार एजेंसी इतर-ताश को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “भारतीय और रूसी कंपनियां कुडनकुलम की परमाणु ऊर्जा इकाई 3 और 4 की व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिए समझौता कर रही हैं और ये करार होंगे.”

उन्होंने कहा, “जब दूसरों ने हमारे साथ परमाणु व्यापार किया तब भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास में रूसी सहयोग की हम तहे दिल से सराहना करते हैं.”

उन्होंने कहा कि जहां कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा की दूसरी इकाई के निर्माण का कार्य अग्रणी स्तर पर है, वहीं इसकी पहली इकाई जुलाई में ‘क्रिटिकल’ हो चुका था और शीघ्र ही इससे उत्पादित बिजली ग्रिड में आने लगेगी.

हाइड्रोकार्बन क्षेत्र को ‘प्राथमिकता वाला’ के रूप में होने का संकेत देते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, “हम रूस से हाईड्रोकार्बन के सीधे सतह परिवहन के लिए प्रस्ताव की संभाविता पर विचार कर रहे हैं. इसके साथ ही रूस के तेल एवं गैस सेक्टर में हमारी भागीदारी बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं.”

प्रधानमंत्री ने भारत-रूस सैन्य तकनीकी सहयोग की दो ध्वजवाहक परियोजना के रूप में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों और बहुद्देश्यीय भूमिका का निर्वाह करने वाले परिवहन विमानों के विकास का भी उदाहरण दिया.

उन्होंने कहा, “ये परियोजनाएं हमारे रक्षा सहयोग को हमारे पूर्व के खरीदार-विक्रेता संबंध में बदलाव के प्रतीक हैं. अब यह संबंध अब आधुनिक रक्षा मंच के संकल्पना, विकास एवं उत्पादन में बदल चुका है.”

आर्थिक सहयोग के मोर्चे पर मनमोहन सिंह की यात्रा के दौरान बेलारूस, कजाकिस्तान एवं रूस की सदस्यता वाले कस्टम्स यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौते का मुद्दा उठने की संभावना है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को ब्रिक्स ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका समूह को आकार देने वालों में मुख्य भूमिका निभाने वाला करार देते हुए उन्होंने कहा कि अभी इसके विस्तार का कोई प्रस्ताव नहीं है.

सीरिया के मुद्दे पर मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत जब सुरक्षा परिषद का सदस्य था, तब रूस के साथ मिलकर काम किया था. उन्होंने कहा, “सीरिया पर जेनेवा-2 प्रस्ताव जितनी जल्दी हो सके, लागू किया जाना चाहिए.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!