राष्ट्र

‘PMO बताये कब आयेंगे मेरे 15 लाख?’

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: केन्द्रीय सूचना आयुक्त ने पीएमओ को निर्देश दिया है कि बतायें 15 लाख कब आयेंगे? केन्द्रीय सूचना आयुक्त ने एक आरटीआई, जिसमें पूछा गया है कि नरेंद्र मोदी ने जो वादा 2014 के आम चुनाव के दौरान किया था, वो रकम खाते में कब आयेगी के सिलसिले में पीएमओ को जवाब देने का निर्देश दिया है.

उल्लेखनीय है कि राजस्थान के झालावाड़ ज़िले में कन्हैया लाल नामक एक व्यक्ति के आवेदन के सिलसिले में यह निर्देश दिया गया है. कन्हैया लाल ने पीएमओ में एक आरटीआई अर्जी दाखिल कर पूछा था कि प्रधानमंत्री मोदी को सौंपे गए उनके ज्ञापन की स्थिति क्या है.

मुख्य सूचना आयुक्त राधा कृष्ण माथुर के अनुसार, “पीएमओ को भेजे ज्ञापन में जिक्र किये गए विभिन्न ब्यौरों में लाल ने शीर्ष कार्यालय से यह कहा था कि “चुनाव के समय, घोषणा की गई थी कि काला धन वापस भारत लाया जायेगा और हर ग़रीब के खाते में 15 लाख रुपए जमा किये जाएंगे. शिकायतकर्ता जानना चाहता है कि उसका क्या हुआ?”

लाल की याचिका का जिक्र करते हुए माथुर ने कहा, “शिकायतकर्ता प्रधानमंत्री से जवाब चाहता है कि चुनाव के दौरान घोषणा की गई थी कि देश से भ्रष्टाचार को हटाया जायेगा, लेकिन यह ‘90 प्रतिशत तक बढ़ गया है’. साथ ही याचिकाकर्ता जानना चाहता है कि देश से भ्रष्टाचार को हटाने के लिए नया क़ानून कब बनाया जायेगा.”

आरटीआई दाखिल करने वाले कन्हैया लाल ने अपनी याचिका में यह भी जिक्र किया है कि सरकार की तरफ से घोषित योजनाओं का लाभ सिर्फ धनी और पूंजीपति तक ही सीमित है और यह गरीबों के लिए नहीं है. लाल ने यह सवाल भी किया है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा में टिकटों पर दी गई 40 प्रतिशत रियायत क्या इस सरकार की तरफ से वापस ली जा रही है.

मुख्य सूचना आयुक्त राधा कृष्ण माथुर ने कहा कि पीएमओ के सीपीआईओ का जवाब रिकार्ड में नहीं है. माथुर ने अपने आदेश में कहा, “इस आरटीआई आवेदन पर शिकायतकर्ता को 15 दिनों में जवाब दिया जाना चाहिये.”

गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के समय नरेन्द्र मोदी ने कई जन सभाओं में लोगों से वादा किया था कि विदेशों में जो काला धन जमा है उसे वापस लाकर हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये जमा करवाये जायेंगे. इसको लेकर विरोधी दल प्रधानमंत्री मोदी पर कई बार तंज कस चुके हैं. उन पर वादा खिलाफी का आरोप भी लगाया जाता है. लेकिन पहली बार किसी ने सूचना के अधिकार के तहत इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय से जानकारी मांगी है.

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