छत्तीसगढ़

PCI ने पत्रकार की गिरफ्तारी पर पूछे सवाल

रायपुर | संवाददाता: प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने छत्तीसगढ़ के बस्तर में पत्रकार प्रभात सिंह की गिरफ्तारी पर स्वतः संज्ञान लिया है. प्रेस काउंसिल ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव, गृह सचिव तथा बस्तर के पुलिस अधीक्षक को नोटिस भेजकर दो सप्ताह के अंदर उनका जवाब चाहा है.

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर महसूस किया है कि यह प्रथम दृश्टया प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है. प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया कानून 1979 की धारा (13) के तहत स्वतः संज्ञान लिया है.

प्रेस काउंसिल ने अपने पत्र में चाहा है कि छत्तीसगढ़ पत्रकार प्रभात सिंह की गिरफ्तारी से जुड़े मामले में अपनी विस्तृत रिपोर्ट दे जिससे काउंसिल आगे की कार्यवाही कर सके.

उल्लेखनीय है कि बस्तर के पत्रकार प्रभात सिंह को 22 मार्च को गिरफ्तार किया गया है. उस पर धोखाघड़ी के चार मामलें, सरकारी कर्मचारी को काम करने से रोकने तथा आईटी एक्ट की धारा के उलंघन का आरोप है.

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया
यह एक संविघिक स्वायत्तशासी संगठन है जो प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने व उसे बनाये रखने, जन अभिरूचि का उच्च मानक सुनिश्चित करने और नागरिकों के अघिकारों व दायित्वों के प्रति उचित भावना उत्पन्न करने का दायित्व निबाहता है. सर्वप्रथम इसकी स्थापना 4 जुलाई सन् 1966 को हुई थी.
इसका अध्यक्ष प्रमुख होता है जिसे राज्यसभा के सभापति, लोकसभा अघ्यक्ष और प्रेस परिषद के सदस्यों में चुना गया एक व्यक्ति मिलकर नामजद करते हैं. काउंसिल के अघिकांश सदस्य पत्रकार बिरादरी से होते हैं लेकिन इनमें से तीन सदस्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, बार कांउसिल ऑफ इंडिया और साहित्य अकादमी से जुड़े होते हैं तथा पांच सदस्य राज्यसभा व लोकसभा से नामजद किए जाते हैं – राज्य सभा से दो और लोकसभा से तीन.

प्रेस काउंसिल, प्रेस से प्राप्त या प्रेस के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों पर विचार करती है. काउंसिल सरकार सहित किसी समाचारपत्र, समाचार एजेंसी, सम्पादक या पत्रकार को चेतावनी दे सकती है या भर्त्सना कर सकती है या निंदा कर सकती है या किसी सम्पादक या पत्रकार के आचरण को गलत ठहरा सकती है. प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्णय को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है.

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की धारा 13
1978 के अधिनियम की धारा 13 में किए गए प्रावधान के अनुसार, भारतीय प्रेस परिषद् का उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखना और भारत में समाचार-पत्रों तथा समाचार अभिकरणों के मानकों की बनाए रखना तथा उनमें सुधार लाना है. अधिनियम के अनुसार, परिषद् को सलाहकार की भूमिका भी सौंपी गई है. इसके अनुसार, परिषद स्वप्रेरणा से या अधिनियम की धारा 13(2) के अंतर्गत सरकार द्वारा भेजे गए मामलों का अध्ययन कर सकता है और किसी विधयक, विधान, विधि या प्रेस से संबंधित अन्य विषयों के संबंध में अपनी राय व्यक्त कर सकती है तथा सरकार और संबद्ध व्यक्तियों को अपनी राय दे सकती है. लोक महत्व के लिए उसकी कानूनी जिम्मेदारियों से संबंधित मामले में परिषद् स्वप्रेरणा से संज्ञान ले सकती है और तत्काल जांच करने के लिए विशेष समिति का गठन कर सकती है.

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