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मरीज़ों के इंतजार में हैं रेलवे के आइसोलेशन कोच

रायपुर | संवाददाता: देश भर में पांच हज़ार से अधिक रेल कोच को आइसोलेशन कोच में बदला गया लेकिन अब तक इनमें से महज 15 फीसदी कोच का ही उपयोग किया गया है. हालत ये है कि छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में महीनों से ये कोच कोरोना मरीज़ों की प्रतीक्षा में खड़ी-खड़ी धूल खा रही हैं. दूसरी ओर मरीज़ दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.

आंकड़ों के अनुसार दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 111 कोच को आइसोलेशन कोच में बदला गया है. इस बात को महीनों गुजर गये. लेकिन लाखों रुपये खर्च करके इन कोचों को आइसोलेशन कोच में बदलने के बाद भी इनका उपयोग अब तक शुरु नहीं किया गया. अगर इन कोचों का उपयोग शुरु किया जाता तो हज़ारों मरीज़ों को इस आपदा में राहत मिल सकती थी.

भारत सरकार के अनुसार देश में सबसे अधिक दक्षिण रेलवे में 573 रेलवे कोच को आइसोलेशन कोच में बदला गया. इसी तरह उत्तर रेलवे में भी 540 कोच आइसोलेशन कोच में बदल दिये गये.

रेल मंत्रालय का दावा है कि मध्य रेलवे में 482, पूर्व रेलवे में 380, पूर्व मध्य रेलवे में 269, पूर्व तट रेलवे में 261, उत्तर मध्य रेलवे में 130, पूर्वोत्तर रेलवे में 217, पूर्वोत्तर सीमा रेलवे में 315, उत्तर पश्चिम रेलवे में 266, दक्षिण मध्य रेलवे में 486, दक्षिण पूर्व रेलवे में 338, दक्षिण पश्चिम रेलवे में 320, पश्चिम रेलवे में 410 और पश्चिम मध्य रेलवे में 133 रेलवे कोच को आइसोलेशन कोच में बदला गया है.

इन सभी 5231 आइसोलेशन कोच में से 12 सितंबर की तारीख़ तक राज्य सरकारों ने महज 813 सवारी डब्बों का उपयोग किया है. छत्तीसगढ़ में अभी इसकी शुरुआत नहीं की गई है.

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