छत्तीसगढ़रायपुर

मेकाहारा में चूहेमार अभियान शुरु

रायपुर | एजेंसी: रायपुर सके सरकारी अस्पताल मेकाहारा में सूबे का पहला चूहामार अभियान शुरू हो गया है. चूहों की धमाचौकड़ी से परेशान अस्पताल प्रबंधन ने करीब दो महीने पूर्व एक निविदा जारी की थी और 11 मार्च को वर्कआर्डर जारी किया था.

इस अभियान के पहले चरण यानी अटैक फेज में 6,80,000 रुपये का खर्च आएगा और इसके बाद 65 हजार रुपये प्रति महीने के हिसाब से 11 महीनों तक रख-रखाव पर खर्च होगा. वर्कऑर्डर हासिल करने वाली कंपनी का दावा है कि असर 10 दिन में साफ-साफ दिखने लगेगा.

जानकारी के मुताबिक चूहा मारने का वर्कऑर्डर लक्ष्मी फ्यूमिगेशन एंड पेस्ट कंट्रोल लिमिटेड नामक कंपनी को मिला है. यह वही कंपनी है, जिसने 1994 में मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल इंदौर के महाराजा यसवंत राव अस्पताल में 20 हजार चूहों को मारा था. यह अस्पताल भी ठीक अंबेडकर अस्पताल की तरह ही चूहों से परेशान था.

कंपनी के चेयरमैन संजय करमकर ने दावा किया कि महज 10 दिन में असर दिखने लगेगा और महीने भर में चूहों की संख्या लगभग आधी से भी कम हो जाएगी. लेकिन इससे अधिक रख-रखाव जरूरी है, जो लगभग 11 महीनों तक जारी रहेगा. अस्पताल प्रवक्ता शुभ्रा सिंह ठाकुर का कहना है कि चूहों का आतंक ही है, जिसकी वजह से टेंडर जारी करना पड़ा.

लक्ष्मी फ्यूमिगेशन एंड पेस्ट कंट्रोल लिमिटेड के चेयरमैन संजय करमकर ने बताया, “हमारी टीम ने सर्वे कर लिया है. मंगलवार से चूहों के विरुद्ध अभियान शुरू कर दिया जाएगा. पहले तीन दिन तक अस्पताल के बाहर चूहों के बिल बंद किए जाएंगे. उसके बाद अस्पताल के अंदर, 10 दिन के अंदर परिणाम दिखने लगेगा. सर्वेक्षण में हजारों की संख्या में बिल मिले हैं, चूहों की संख्या हजारों में है.”

अटैक फेज अभियान का पहला चरण है, जो तीन दिन तक चलेगा. कंपनी का एक भी कर्मचारी अस्पताल के अंदर दाखिल नहीं होगा. पूरे तीन दिनों तक अस्पताल के बाहरी क्षेत्र में जितने भी चूहों के बिल हैं, उन्हें बंद किया जाएगा. प्रतीक्षा करेंगे, यानी चूहों की गतिविधियां जानेंगे. उसके बाद होगा फ्यूमिगेशन. फ्यूमिगेशन का मतलब है कि बिल को पानी से भरकर सील कर देना. बिल के अंदर फिर चाहे चूहे हों या फिर सांप, सब दम घुटने से मर जाएंगे. इसके बाद शुरू होगा अस्पताल के अंदर फ्यूमिगेशन.

अस्पताल की ओपीडी सुबह 8 बजे से 2 बजे तक चलती है, इसलिए ठेका कंपनी ने शाम 4 बजे से रात 12 बजे तक का वक्त अस्पताल प्रबंधन से मांगा है. यहां भी वेटिंग (प्रतीक्षा) प्रक्रिया से शुरुआत होगी. चूहों पर कड़ी नजर रखी जाएगी, उनके आने-जाने का वक्त नोट किया जाएगा और फिर उन्हें दो दिनों तक उनकी पसंद का खाना दिया जाएगा.

दो दिन तक खाना खिलाने के बाद चूहों को खाने वाली जगह पर आने की आदत पड़ जाएगी और फिर अस्पताल के कोने-कोने से अनाज साफ कर दिया जाएगा, दो दिनों तक चूहों को भूखा रखा जाएगा.

अस्पताल के अंदर के एक-एक कमरे को टॉरगेट कर बिल बंद किए जाएंगे. अस्पताल के अंदर ही 200-400 रोडा बॉक्स रखें जाएंगे, जिनके बीच में खाना होगा और दोनों तरफ चूहों के घुसने के लिए जालियां होंगी, जिसमें चूहे फंस जाएंगे. इसके बाद चूहों को नियमानुसार मारा जाएगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!