राष्ट्र

जेठमलानी लड़ेगे केजरीवाल का केस

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: राम जेठमलानी केजरीवाल व आप नेताओं पर दायर मानहानि का केस लड़ेगें. सरकार के एक सूत्र ने सोमवार को कहा, “वह (जेठमलानी) केजरीवाल और अन्य आप नेताओं के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में पेश होंगे.” गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया और डीडीसीए में उनके अध्यक्ष रहने की अवधि के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में 10 करोड़ रुपये की मांग की.

जवाब में केजरीवाल ने कहा कि उन्हें और उनकी पार्टी को इस तरह डराया नहीं जा सकता. जेटली ने संसद में भले ही अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर खुद का बचाव किया, लेकिन उनकी पार्टी के ही सांसद कीर्ति आजाद ने उनसे जानना चाहा कि जेटली ने आखिर उनके खिलाफ मुकदमा क्यों नहीं किया, जो कि वर्षो से दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ में बड़े वित्तीय घोटाले का आरोप लगा रहे हैं.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ दायर मानहानि मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी.

इस बीच, आप ने उच्च न्यायालय में एक प्रतिवाद दायर किया है. वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एस. फूलका ने न्यायालय से आग्रह किया कि उनका पक्ष सुने बगैर कोई आदेश जारी न किया जाए.

केजरीवाल ने जेटली पर उस दिन आरोप लगाया था, जब सीबीआई ने कथित भ्रष्टाचार के मामले में केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के कार्यालय पर छापा मारा था.

जेटली कई पार्टी नेताओं और मंत्रियों के साथ पटियाला हाउस न्यायालय भी पहुंचे, जहां उन्होंने केजरीवाल, और आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं के खिलाफ एक आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई.

मुख्य महानगर दंडाधिकारी संजय खनगवाल ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई पांच जनवरी के लिए तय कर दी. शिकायत जेटली ने व्यक्तिगत रूप से दायर की है.

जेटली के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि जेटली ने डीडीसीए से एक भी पैसा नहीं लिया है और केजरीवाल और आप नेताओं द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोप अपमानजनक व निराधार हैं.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने यह कहते हुए भले ही जेटली का बचाव किया कि उनकी ईमानदारी के लिए उनका सम्मान किया जाता है, लेकिन आजाद ने डीडीसीए मामले की न्यायालय की निगरानी वाले एक विशेष जांच दल से समयबद्ध जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच में अधिक समय बर्बाद होगा.

केजरीवाल के खिलाफ जेटली द्वारा मामला दायर करने के चंद घंटों बाद आजाद ने कहा, “मैं लंबे समय से डीडीसीए में भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठा रहा हूं. यह मेरा उठाया मुद्दा था, जिसे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ के लिए हाईजैक कर लिया. वास्तव में दोनों दलों ने मेरे पत्रों के आधार पर इस मुद्दे को उठाया है.”

आजाद ने कहा, “इसलिए मानहानि का मामला मेरे खिलाफ दायर किया जाना चाहिए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मेरे खिलाफ मानहानि का मामला दायर नहीं किया गया.”

कांग्रेस ने संसद से मांग की कि इस मामले की जांच एक संयुक्त संसदीय समिति से कराई जाए.

जेटली ने अपने खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया, और कहा कि उन्होंने डीडीसीए के अपने कार्यालय में राष्ट्रीय राजधानी को एक अच्छा स्टेडियम दिया. उन्होंने कहा कि वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए 43 कॉरपोरेट बॉक्स बनाए गए थे और 10 वर्षो के टिकटों की अग्रिम बिक्री की गई थी.

जेटली ने कहा कि स्टेडियम पर कुल 114 करोड़ की लागत आई. उन्होंने कांग्रेस की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के नवीनीकरण पर 900 करोड़ रुपये खर्चे गए थे.

दिल्ली सरकार ने डीडीसीए में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए एक आयोग गठित करने हेतु मंगलवार को विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया है.

केजरीवाल ने कहा कि सत्र में डीडीसीए घोटाले पर और दिल्ली सचिवालय पर सीबीआई छापे पर चर्चा होगी.

उन्होंने ट्वीट किया, “जेटली न्यायालय में मुकदमा कर हमें डरा नहीं सकते. हम भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे.”

उन्होंने जेटली से आग्रह किया कि उनकी सरकार द्वारा गठित जांच आयोग के समक्ष पेश होकर वह अपनी बेगुनाही साबित करें.

बिहार से लोकसभा सदस्य आजाद ने रविवार को आरोप लगाया कि डीडीसीए में भारी घोटाला हुआ है. उन्होंने कहा कि जेटली की संलिप्तता वाला मुद्दा उठाकर उन्होंने कोई गलत नहीं किया है.

उन्होंने कहा, “मैंने क्या गलत किया है? मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा हूं और मेरी लड़ाई किसी व्यक्ति या पार्टी के खिलाफ नहीं है.”

आजाद ने इस मामले को अंतिम निष्कर्ष तक जारी रखने का संकल्प लिया, क्योंकि वह इसे आठ वर्षो से उठा रहे हैं.

आजाद ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के दौरान गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय द्वारा की गई डीडीसीए की जांच एक सिविल प्रकृति की थी.

उन्होंने आरोप लगाया कि डीडीसीए ने फर्जी कंपनियों को ठेके दिए, करोड़ों रुपये नकद भुगतान किए, और खातों की ऑडिट में गड़बड़ी की.

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