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नक्सलियों से बात हो-रमन सिंह

रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नक्सलियों से बातचीत पर जोर दिया है. बस्तर में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सली हमले के बाद यह बहस शुरु है कि नक्सलवाद का हल क्या निकले. मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नवभारत टाइम्स से बातचीत में कहा कि नक्सलवाद स्थानीय समस्या माना गया और कोई इंटिग्रेटेड प्लान नहीं तैयार किया गया. हमारी कोशिशों से नक्सलवाद का असर कम हुआ है लेकिन इस मसले पर केंद्र की भूमिका अहम है. केंद्र सरकार को नक्सलवाद के लिए राज्य स्तर पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत करनी चाहिए. जब हम पाकिस्तान से बात कर सकते हैं तो नक्सलियों से क्यों नहीं?

रमन सिंह ने कहा कि अगर आतंकवाद के खिलाफ कानून बनता है तो किसी को दिक्कत नहीं है. हालांकि, इसकी आड़ में राज्य सरकारों के अधिकार नहीं छीने जाने चाहिए. अगर एक सब-इंस्पेक्टर का काम भी केंद्र की एजेंसी ही करेगी तो फिर बचा ही क्या? आपको राज्य की पुलिस पर तो विश्वास करना ही पड़ेगा. राज्य की पुलिस के लोग भी देश के ही लोग हैं.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने चुनाव को लेकर कहा कि छत्तीसगढ़ में कभी दंगे नहीं हुए. यहां सांप्रदायिक तनाव नहीं है. हमारी चिंता यही है कि किस तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर को डिवेलप किया जाए? कैसे रोजगार के नए अवसर पैदा किए जाएं? वैसे धर्म और आस्था से जुड़े लोग हमारे राज्य में भी हैं, लेकिन हम उनका राजनीतिक इस्तेमाल नहीं करते. राज्य सरकार पहले ही 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को रामेश्वरम, शिर्डी जैसे धार्मिक स्थलों की यात्रा के लिए आर्थिक मदद कर रही है.

छत्तीसगढ़ को बिहार की तर्ज पर विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने के मुद्दे पर रमन सिंह ने कहा कि योजना आयोग भले ही हमें विशेष राज्य का दर्जा न दे, लेकिन वह यह तो याद रखे कि हमारे राज्य में 32 फीसदी आदिवासी हैं. कम से कम आदिवासी बहुल इलाके के विकास के लिए तो अलग से फंड मिलना चाहिए. जिस तरह से केंद्र ने उड़ीसा के कालाहांडी के लिए अलग योजना दी, वैसी ही योजना हमें भी मिलनी चाहिए.

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