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रमन सिंह फिर पनामा के घेरे में?

नई दिल्ली | संवाददाता: रमन सिंह की भी पनामा पेपर्स में क्या मुश्किलें बढ़ने वाली हैं?

यह सवाल राजनीतिक गलियारे में एक बार फिर से तेज़ हो गया है. हालांकि रमन सिंह और उनके बेटे सांसद अभिषेक सिंह पनामा पेपर्स मामले में किसी भी तरह की संलिप्तता को साफ तौर पर खारिज कर चुके हैं. उन्होंने किसी भी तरह की जांच को चुनौती दी है.

लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से माना जा रहा है कि पूरे मामले की नये सिरे से जांच की जा सकती है. अभी तक सारा मामला प्रधानमंत्री कार्यालय तक अटका हुआ था क्योंकि मामले की जांच आयकर विभाग कर रहा है.

आयकर विभाग के सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सिस यानी सीबीडीटी ने इस मामले में 450 लोगों को कानूनी नोटिस जारी की है. उनसे इस मामले में सफाई मांगी गई है.

यह रिपोर्ट किसी अदालत के बजाये प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी जानी थी. प्रधानमंत्री कार्यालय ही फिर रिपोर्ट को आधार बना कर तय करता कि किसके खिलाफ कार्रवाई करनी है और किसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी है.

अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि वह इस पूरे मामले में बताये कि क्या इस इसकी जांच के लिये एसआईटी गठित की जाये. सरकार के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट यह तय कर सकती है कि यह जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो या नहीं. अगर ऐसा होता है तो राजनीतिक तौर पर इस मसले से निपटने की उम्मीद लगाये लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

इससे पहले 18 अप्रैल को सरकार ने पनामा पेपर्स मामले में सुप्रीम कोर्ट को 6 रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपी थी. सातवीं रिपोर्ट पेश करने के लिये अदालत ने तीन दिन का समय दिया था.

सरकार की ओर से इस मामले में कहा गया कि इस मामले में एसआईटी जांच की जरुरत नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की जरुरत पर जुलाई के दूसरे सप्ताह में जवाब पेश करने के लिये कहा है.

छत्तीसगढ़ कनेक्शन

‘इंटरनेशनल कनसोरशियम ऑफ़ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स’ यानी आईसीआईजे के ऑफशोर लीक्स डाटाबेस में कवर्धा के किसी अभिषेक सिंह का नाम है. जिसका पता रमन मेडिकल स्टोर, नया बस स्टैंड, वार्ड नंबर 20, विंध्यवासिनी वार्ड, कवर्धा है.

इसके अलावा सात अन्य लोगों के भी नाम इस रिपोर्ट में हैं. इनमें रायपुर के चार लोगों की कंपनी रायपुर कार्प शामिल है. 23 मई 2005 को पनामा में इस कंपनी ने अपने को रजिस्टर्ड कराया था. लेकिन बाद में 9 मार्च 2012 को कंपनी ही बंद हो गई.

भिलाई के नेहरु नगर इलाके के चेतनकुमार मथुरादास संगानी, निमिश अग्रवाल और सुनील अग्रवाल का नाम भी पनामा पेपर में आया था. संगानी का पता 9 ए/3 नेहरु नगर इस्ट, भिलाई, दुर्ग, छत्तीसगढ़ बताया गया है.

इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी सवाल खड़े किये थे और दावा किया था कि पनामा में जिन लोगों ने अपनी अवैध कमाई जमा की है, उनमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे सांसद अभिषेक सिंह भी शामिल हैं. प्रशांत भूषण ने कथित दस्तावेज भी जारी किये थे.

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