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रामनाथ कोविंद के खिलाफ कौन उतरेगा मैदान में

नई दिल्ली | संवाददाता: एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति चुना जाना लगभग तय है. भाजपा और दूसरी पार्टियों के साथ-साथ अब कांग्रेस भी यह बात मानने की मुद्रा में नज़र आ रही है. लेकिन कांग्रेस पार्टी को इस बात का मलाल है कि अगर एनडीए ने कोविंद का नाम तय करने से पहले पार्टियों को विश्वास में लिया होता तो शायद आम सहमति बन पाती. अब कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां कोविंद के खिलाफ उम्मीदवार उतारने के मूड में नज़र आ रही हैं.

बिहार के राज्यपाल और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे रामनाथ कोविंद के नाम का ऐलान करने के बाद भाजपा ने साफ किया है कि उनसे ऐलान से पहले कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी को बताया था. लेकिन कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद की मानें तो यह महज औपचारिक सूचना भर थी. इसके बजाये कांग्रेस सर्व सम्मति से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम तय करना चाहती थी.

अब जबकि भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है, तब लाख टके का सवाल यही है कि क्या भाजपा के इस कदम का कोई प्रभावी जवाब विपक्ष पेश कर सकता है? इस सवाल का जवाब तीन दिन बाद ही मिल सकता है क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने 22 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. बैठक में नेताओं की उपस्थिति बहुत कुछ तय कर देगी.

हालांकि विपक्षी दलों के तेवर देखें तो वामदल साफ कर चुके हैं कि वे अपनी तरफ से कोई उम्मीदवार उतारना चाहते हैं. उनकी ओर से अब तक जो नाम छन कर आ रहा है, वह महात्मा गांधी के परपोते गोपाल कृष्ण गांधी का है. वहीं बसपा ने भी कांग्रेस को किसी दलित उम्मीदवार को उतारने का संकेत दिया है. कांग्रेस के पास लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार का नाम है. लेकिन इस नाम पर कितनों की मुहर लगेगी, इसे लेकर अनिश्चय रहेगा.

सबसे बड़ा संकट समाजवादी पार्टी का है, जिसके नेताओं ने भाजपा के इस कदम की सराहना की है. लेकिन समर्थन के मुद्दे पर पार्टी चुप्पी साधे हुये हैं. मतलब साफ है कि इस सराहना को महज सौहार्दपूर्ण वातावरण की तरह ही देखे जाने की जरुरत है.

इसी तरह जदयू नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल को भी देखा जा सकता है. नीतीश कुमार ने भाजपा के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार कोविंद से मुलाकात की, उनके चयन का स्वागत किया है लेकिन नीतीश इस मसले पर कुछ भी बोलने से इंकार करते नज़र आ रहे हैं कि क्या उनकी पार्टी कोविंद का समर्थन करेगी. नीतीश का कहना था कि यह बहुत जल्दीबाजी वाला कदम होगा. उन्होंने सवाल को अपने तरीके से टाल दिया.

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