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आरबीआई ने बढ़ाई दरें, लोन होंगे महंगे

नई दिल्ली | एजेंसी: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी मुख्य नीतिगत दरों (रेपो रेट) में 0.25 फीसदी की वृद्धि की है जिससे .ह 7.5 फीसदी हो गई है. आरबीआई के इस कदम से आवास, वाहन तथा अन्य प्रकार के ऋण महंगे हो जाएंगे. रेपो दर वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं. बैंक के कदम से शेयर बाजारों और रुपये में गिरावट देखी गई.

आरबीआई के नए गवर्नर रघुराम राजन ने पहली बार वित्त वर्ष 2013-14 की मध्य तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में अपने पूर्ववर्ती डी. सुब्बाराव द्वारा लिए गए फैसलों को आंशिक रूप से वापस लिया. राजन ने चार सितंबर 2013 को आरबीआई गवर्नर का पद संभाला था.

राजन ने वर्स रेपो दर को भी 6.25 फीसदी से बढ़ा कर 6.5 फीसदी कर दिया गया. रिवर्स रेपो दर वह ब्याज दर है, जो आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधिक जमा पर देता है.

रेपो दर और रिवर्स रेपो दर के आधार पर वाणिज्यिक बैंक उपभोक्ताओं के लिए दर तय करते हैं. इनके बढ़ने से आवास, वाहन तथा अन्य प्रकार के ऋण पर लगने वाली ब्याज दरें बढ़ जाएंगी और विकास दर पर बुरा असर पड़ेगा, जो पहले से ही कम है.

आरबीआई के फैसले का शेयर बाजारों पर नकारात्मक असर हुआ और बंबई स्टॉक एक्सचेंज के संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में 382.93 अंकों की गिरावट दर्ज की गई. रुपया भी फिसलकर डॉलर के मुकाबले 62.61 तक पहुंच गया.

नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को चार फीसदी के स्तर पर बरकरार रखा गया है. सीआरआर धन का वह अनुपात है, जो वाणिज्यिक बैंकों को रिजर्व बैंक के पास रखना होता है.

आरबीआई ने सीमांत स्थाई सुविधा (एमएसएफ) दर को तत्काल प्रभाव से 75 आधार अंक घटाकर 10.25 फीसदी से 9.5 फीसदी कर दिया.

रिजर्व बैंक ने डॉलर के मुकाबले रुपये में जारी अवमूल्यन को रोकने और रुपये को मजबूती देने के लिए मध्य जुलाई में एमएसएफ को बढ़ाकर 10.25 फीसदी कर दिया था.

आरबीआई के बयान के मुताबिक सीआरआर का न्यूनतम दैनिक मेंटेनेंस भी जरूरत के 99 फीसदी से घटाकर 95 फीसदी कर दिया गया है, जो 21 सितंबर से लागू होगा.

गवर्नर राजन ने मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रिजर्व बैंक ने विकास और महंगाई के विकल्पों बीच संतुलन साधने की कोशिश की है.

उन्होंने कहा, “रिजर्व बैंक की प्राथमिकता हमेशा से ही महंगाई और विकास दोनों रही है.”

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