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दूरसंचार कोष में अप्रयुक्त हैं 28 हज़ार करोड़

नई दिल्ली | एजेंसी: देश के सभी 6,38,596 गांवों को दूरसंचार और ब्रॉडबैंड सम्पर्क से जोड़ने के मकसद से बनाए गए यूनीवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) कोष का तकरीबन 27,949.91 करोड़ रुपया (4.65 अरब डॉलर) बेकार पड़ा हुआ है.

इस कोष को 10 साल पहले तैयार किया गया था और इसमें निजी दूरसंचार कंपनियों के लिए भी योगदान करना बाध्यकारी था.

देश की संसद ने इस योजना को 2002-03 में मंजूरी दी थी और तब से इस कोष में तकरीबन 50,682.95 करोड़ रुपये (8.4 अरब डॉलर) इकट्ठे किए गए थे. आधिकारिक आंकड़ों से मिली जानकारी के मुताबिक इसमें से 27,949.91 करोड़ रुपये बेकार पड़े हुए हैं.

विशेषज्ञ और कोष से संबंधित कुछ पक्ष इस कोष के औचित्य पर सवाल उठाते हैं और मानते हैं यह दूरसंचार कंपनियों पर एक बोझ है. लेकिन इस कोष से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि कुछ इंतजार करने की जरूरत है यह कोष अपना रंग दिखाएगा.

मोबाइल कंपनियों के वैश्विक संगठन ग्रुप स्पेशल मोबाइल एसोसिएशन (जीएसएमए) के नीति प्रमुख गेब्रिएल सोलोमन ने कहा, “यह कोष देश के सकल घरेलू उत्पाद के 0.25 फीसदी हिस्से के बराबर है और अब तक बेकार पड़ा हुआ है.”

एसोसिएशन द्वारा भारतीय दूरसंचार उद्योग पर जारी एक हाल की रिपोर्ट पर लंदन से सोलोमन ने ई-मेल पर बताया, “यदि यह राशि उद्योग जगत के पास रहने दिया जाता, तो इसका उपयोग आधारभूत संरचना पर होता और अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर दिखता.” इस रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया है कि इस कोष का वास्तव में भारतीय दूरसंचार और सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी उद्योग पर नकारात्मक असर हो रहा है.

दूरसंचार विभाग के तहत इस कोष के प्रशासक और भारत ब्रॉडबैंड निगम लिमिटेड (बीबीएनएल) के अध्यक्ष एन. रविशंकर ने हालांकि इस पर असहमति जताते हुए कहा है कि यह सिर्फ आधी हकीकत है.

उन्होंने कहा कि बची हुई 27,949.91 करोड़ रुपये की राशी में से 20 हजार करोड़ रुपये का उपयोग राष्ट्रीय ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क परियोजना में किया जाएगा और शेष 3,046 करोड़ रुपये का उपयोग नौ नक्सल प्रभावित राज्यों में 2,199 मोबाइल टावर लगाने में किया जाएगा.

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