रायपुर

कुलपति पद पर साही की नियुक्ति पर रोक

रायपुर | संवाददाता: बिलासपुर विश्वविद्यालय के नये कुलपति के रुप में सदानंद साही की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है.छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने अगले आदेश तक इस पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है. सदानंद साही को लेकर राजभवन में शिकायत की गई थी कि वे नक्सल समर्थक हैं. माना जा रहा है कि साही के खिलाफ शिकायतों के बाद यह निर्णय लिया गया है.

इससे पहले साही ने अपने खिलाफ की गई शिकायतों को लेकर कहा था कि जिसे जो सोचना हो सोचे. उन्होंने फुरसत मिलते ही कार्यभार संभालने की बात कही थी. लेकिन राजभवन के ताज़ा आदेश ने सारा मामला पलट दिया.

बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर गौरीदत्त शर्मा का कार्यकाल 1 जून को खत्म हो रहा है, इस लिहाज से माना जा रहा था कि साही एक-दो दिन में आ कर पदभार ग्रहण करेंगे. लेकिन राजभवन के आदेश के बाद मामला खटाई में पड़ गया है. अनुमान है कि अगली नियुक्ति तक गौरीदत्त शर्मा कामकाज जारी रखेंगे.

साही के खिलाफ राजभवन को शिकायत की गई थी कि साही का प्रोफेसर के बतौर अनुभव 9 साल 6 माह का है, जबकि नियमानुसार यह 10 साल होना चाहिये. हालांकि राजभवन से नियुक्ति को रोके जाने के संबंध में किसी कारण का उल्लेख नहीं किया गया है.

इससे पहले पिछले बुधवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने बिलासपुर विश्वविद्यालय में जम कर नारेबाजी की प्रदर्शन किया था. विद्यार्थी परिषद ने चेतावनी दी थी कि अगर प्रोफेसर साही की नियुक्ति रद्द नहीं की जाती है तो उनका संगठन राज्य भर में आंदोलन करेगा.

विद्यार्थी परिषद के प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष मंडावी के मुताबिक उनका संगठन प्रोफेसर सदानंद शाही का विरोध इसलिए कर रहा था क्योंकि सदानंद ने माओवादी संगठन को कविता के माध्यम से आवाज़ देने वाले वरवरा राव की कविताओं को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्राथमिकता दी थी.

मंडावी ने आरोप लगाया कि जब देश में असहिष्णुता को लेकर बहस चल रही थी तब भी प्रोफेसर सदानंद साही ने पुरस्कार वापसी को सही बताया था. इसके आधार पर विद्यार्थी परिषद मानती है कि नए कुलपति सदानंद राष्ट्रविरोधी मानसिकता के हैं.

बनारस विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक सदानंद साही की पहचान एक साहित्यकार के बतौर रही है. कुशीनगर जिले के सिंगहा गांव के निवासी सदानंद साही की किताबें परंपरा और प्रतिरोध, दलित साहित्य की अवधारणा और प्रेमचंद चर्चित रही हैं. छात्र राजनीति से अध्यापन के पेशे में आये प्रोफेसर साही ने भोजपुरी भाषा के लिये मंच बना कर आंदोलन भी चलाया था.

2 thoughts on “कुलपति पद पर साही की नियुक्ति पर रोक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!