छत्तीसगढ़ताज़ा खबर

माओवादियों को सैनिटरी पैड का दीवाली गिफ़्ट

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की महिला माओवादियों को माहवारी में काम आने वाले रियूज़ेबल सैनिटरी पैड और माहवारी कप इस दीवाली गिफ़्ट किया जायेगा. नई शांति प्रक्रिया के बैनर तले जंगल के भीतर जा कर महिला माओवादियों को रियूज़ेबल सैनिटरी पैड और माहवारी कप दिये जायेंगे.

बस्तर पुलिस का कहना है कि उनकी जानकारी में यह आयोजन हो रहा है. बस्तर के आईजी पुलिस सुंदरराज पी का कहना है कि माओवादी समस्या के समाधान की दिशा में सभी लोग काम कर रहे हैं. ऐसे में इस पहल का क्या परिणाम होगा, यह कहना मुश्किल है क्योंकि यह काम अभी आरंभिक दौर में है.

नई शांति प्रक्रिया की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि माओवादी आंदोलन में आज लगभग आधे लड़ाके लड़कियाँ हैं. उनमें से कमांडर तो कम हैं पर उस आंदोलन की रीढ़ की हड्डी यही बहने हैं, वे ही उस आंदोलन की आधार हैं. बस्तर में उनमें से लगभग शत प्रतिशत आदिवासी हैं, कम पढ़ी लिखी हैं और बहुत कभी स्कूल नहीं जा पाईं. हम उन्हें माहवारी में काम आने वाले रियूज़ेबल सैनिटरी पैड और माहवारी कप इस दीवाली गिफ़्ट की तरह भेजने का सुझाव आपको देना चाहते हैं.

बयान में कहा गया है कि सरकारी आँकड़ो के अनुसार आज लगभग 50 फ़ीसदी से अधिक ग्रामीण महिलाएँ भी सैनिटरी पैड का इस्तेमाल कर रही हैं पर सैनिटरी पैड लगभग 90% प्लास्टिक से बनते हैं और उन्हें मिट्टी में मिलने में 500 से 800 साल का समय लगेगा और शहर के साथ साथ अब गाँवों में भी सैनिटरी पैड को नष्ट करना अब एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या बनती जा रही है.

इस बयान में कहा गया है कि हम कपड़े के बने, बार बार धोकर उपयोग किए जाने वाले रियूज़ेबल पैड भेजना चाहते हैं और माहवारी कप तो एक बार ख़रीदने पर 10 साल तक उपयोग किया जा सकता है. ये कप सिलिकोन से बनते हैं तो ये मिट्टी में भी आसानी से मिल सकते हैं. माहवारी कप हर माओवादी बहन के बैग का हिस्सा हो सकता है जिसे लेकर वे रोज़ जंगल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से घूमती रहती हैं. हम प्रत्येक बहन को दो रियूज़ेबल कपड़े के पैड और एक कप भेजना चाहेंगे जिसका खर्च लगभग एक हज़ार रू प्रति गिफ़्ट पैक आएगा.

नई शांति प्रक्रिया की ओर से जारी बयान में पैसे जमा करने के लिये पंजाब नेशनल बैंक का एक अकाउंट नंबर 7483000100019704, IFSC कोड: PUNB0768500 भी दिया गया है.

बयान में उम्मीद जताई गई है कि बस्तर के जंगलों में कपास तो नहीं उगता पर यहाँ बांस बहुत होता है. यहाँ हिंसा से विस्थापित आदिवासी बांस से कपड़ा बनाने का प्रयोग शुरू कर रहे हैं तो शायद अगली दीवाली आप बस्तर के बांस के कपड़े से बने रियूज़ेबल सैनिटरी पैड भी अपने मित्र और सम्बन्धियों को उपहार में दे सकेंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!