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निर्भया कांड में फांसी की सजा बरकरार

नई दिल्ली | संवाददाता: निर्भया कांड में सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों को मिली मौत की सज़ा बरकरार रखी है.

इस मामले में 27 मार्च को सुनवाई हुई थी, जिसके बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था. शुक्रवार को इस मामले में अदालत ने सेशन कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भानुमति की पीठ ने कहा, “इस बर्बरता के लिए माफ़ी नहीं दी जा सकती, अगर किसी एक मामले में मौत की सज़ा हो सकती है तो वो यही है. निर्भया कांड सदमे की सूनामी था.”

गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के मुनिरका में छह लोगों ने एक बस में पैरामेडिकल छात्रा से गैंग रेप किया और बाद में युवती और उसके दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया था. देश भर में इस मामले को लेकर हंगामा मचा और दिल्ली में ऐतिहासिक प्रदर्शन हुआ. जिसके बाद पुलिस सक्रिय हुई. इस बीच राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को इस मामले में गिरफ़्तार किया गया. 21 दिसंबर को मामले में एक नाबालिग को दिल्ली से और छठे अभियुक्त अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ़्तार किया गया.

पुलिस ने पखवाड़े भर के भीतर 3 जनवरी 2013 को आरोप पत्र दाखिल किये. इनमें से एक आरोपी राम सिंह ने 11 मार्च 2013 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. एक अन्य आरोपी को नाबालिग होने के कारण तीन साल तक किशोर केंद्र में सुधार के लिये भेजा गया, जबकि 13 सितंबर 2013 को मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को मौत की सज़ा सुनाई.

निर्भया कांड के बाद बलात्कार और छेड़छाड़ से संबंधित कानून में भी बदलाव लाया गया और पीड़ितों के लिये निर्भया कोष भी बनाया गया.

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