छत्तीसगढ़बिलासपुर

सेफ्टी जांच रहे रेलवे के सेफ्टी कमिश्नर हुये अनसेफ

बिलासपुर | संवाददाता: रेलवे के सीआरएस जिस ट्रॉली में बैठकर लाइन की मजबूती जांच रहे थे, उसी का एक्सल टूट गया. कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी यानी सीआरएस पीके आचार्या मंगलवार की दोपहर इस बड़ी दुर्घटना में बाल-बाल बच गए. वे किरोड़ीमल से रायगढ़ तक 8 किलोमीटर लंबी तीसरी रेल लाइन की जांच कर रहे थे. जांच किरोड़ीमल स्टेशन से सुबह 9 बजे के करीब शुरू हुई.

बिलासपुर मंडल के इंजीनियरिंग विभाग ने जांच के लिए सीआरएस और उनकी टीम को मोटरट्रॉली की सुविधा दी थी. सीआरएस सहित जांच टीम इसी ट्रॉली से सेक्शन की जांच के लिए निकले. दोपहर के 1 बजे थे, सीआरएस की टीम रायगढ़ से 300 मीटर पहले थी, तभी मोटरट्रॉली का एक्सल टूट गया. इस समय ट्रॉली की रफ्तार बेहद धीमी थी, जिसके कारण ट्रॉली बेपटरी होने से बच गई.

ट्रॉली का आगे बढ़ना असंभव था, लिहाजा उसे पटरी किनारे रख दिया गया. इंजीनियरिंग विभाग के पास वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी. आखिरकार सीआरएस को पैदल चलकर पटरी की जांच करनी पड़ी. मौके पर मौजूद सूत्रों ने बताया कि सीआरएस ने इंजीनियरिंग विभाग के अफसरों की मौके पर ही खिंचाई की. तल्ख लहजे में पूछ लिया कि एसईसीआर में मेंटेनेंस इसी तरह से होता है क्या?

संभवत: रेलवे के इतिहास में यह पहला मामला है, जब सीआरएस जांच में ऐसी लापरवाही सामने आई है. रेल प्रशासन मामले को दबाने में जुटा है, लिहाजा अफसरों ने चुप्पी साध ली है.

सीआरएस को समझिए
कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी, वह अफसर है, जिसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर नई लाइनों का भविष्य तय होता है. सीआरएस हरेक नई लाइन की तकनीकी तौर पर बारिकी से जांच करते हैं. खामियों को सामने लाते हैं, जिसके दूर होने पर क्लीयरेंस दिया जाता है. नई लाइनों में ट्रेनें तभी दौड़ेंगी, जब सीआरएस क्लीयरेंस मिल जाए.

सीआरएस ये भी तय करते हैं कि नई लाइन कितने किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए तैयार है. सीआरएस पीके आचार्या ने मंगलवार को किरोड़ीमल-रायगढ़ सेक्शन की जांच पूरी की. अगले एक-दो दिनों में पता चलेगा कि सेक्शन को क्लीयरेंस मिला या नहीं? मिला भी तो कितने किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए.

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