राष्ट्र

अलग तेलांगना साकार होगा

नई दिल्ली । एजेंसी : अब अलग तेलांगना राज्य का सपना साकार होने जा रहा है. कांग्रेस की कोर कमेटी ने इसे शुक्रवार शाम को हरी झंडी दे दी है. इस बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद थीं.

सूत्रों की माने तो आंध्रप्रदेश तथा तेलांगना दोनों राज्यों में 21-21 लोकसभा की सीटें होंगी. शुरुआत में हैदराबाद दोनो राज्यों की राजधानी रहेगी बाद में आंध्रप्रदेश के लिये अलग राजधानी की
घोषणा की जायेगी. दरअसल, कांग्रेस की रणनीति इन 42 सीटों पर कब्जे की है और इसके लिए बाकी के आंध्र में जगनमोहन को साथ लेने की कोशिश की जाएगी.

सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस कोर ग्रुप की करीब दो घंटे चली बैठक के बाद इस आशय का संकेत आया. कोर ग्रुप की बैठक के बाद कांग्रेस के आंध्र प्रदेश मामलों के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने
संवाददाताओं से कहा कि विचार-विमर्श की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. अब पार्टी और साथ ही संप्रग सरकार के फैसले की प्रतीक्षा है.

कोर ग्रुप की इस बैठक में ए के एंटनी, पी चिदम्बरम, सुशील कुमार शिंदे और गुलाम नबी आजाद ने भी भाग लिया. इससे पहले सिंह ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरन कुमार रेड्डी सहित राज्य के विभिन्न
नेताओं से करीब तीन घंटे तक चर्चा की. सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री, राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री ने अलग अलग बैठकों में सिंह को विस्तार से जानकारी दी.

ज्ञात्वय है कि अलग तेलंगाना को लेकर लंबे समय से आंदोलन चलता रहा है. यह मुद्दा पहली बार चालीस साल पहले 1972 में उठा था जब आंध्र प्रदेश में व्यापक स्तर पर आंदोलन चला था.
इस आंदोलन के चलते तत्कालीन कांग्रेस सरकार को निलंबित कर राष्ट्रपति शासन लगाना पडा था.

इसके बाद भी यह मुद्दा उठता रहा लेकिन 2001 में सोनिया गांधी ने राजग सरकार को तेलंगाना के मुद्दे पर चिट्ठी लिखकर इसे फिर हवा दे दी. इसके बाद इस मुद्दे को लेकर के चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना
राष्ट्र समिति का गठन किया और बाद में कांग्रेस के नेतृत्व में बनी संप्रग सरकार में अलग तेलंगाना राज्य की शर्त पर ही सहयोगी बने. मगर बाद में संप्रग सरकार ने इस कोई निर्णय नहीं किया तो
टीआरएस इसी मुद्दे पर कांग्रेस नीत सरकार से अलग हो गई. इसके बाद इस मुद्दे का समाधान सुझाने के लिए जनवरी 2010 में श्रीकृष्ण कमेटी बनाई गई. इस कमेटी ने दिसंबर 2010 में अपनी रिपोर्ट सरकार
को सौंप दी, जिसमें इस मुद्दे के समाधान के लिए छह विकल्प सुझाए गये थे.

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