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कथित आतंकी को जमानत कैसे?

रायपुर| समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ पुलिस ने जिन्हें खूंखार आतंकवादी बताया था,उनकी जमानत ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. पुलिस ने कथित इंडियन मुजाहिद्दिन और सिमी का आतंकवादी बता कर जिन लोगों को रायपुर से गिरफ्तार किया गया था, उनमें से 2 को 90 दिन बाद स्थानीय अदालत से ही जमानत मिल गई. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में ऐसे ही कुछ और आरोपियों को जमानत मिल सकती है.

गौरतलब है कि रायपुर की एक अदालत ने गुरुवार को आतंकवादी संगठन सिमी सं जुड़े अजहर उर्फ अजहरुद्दीन 39 और मोइनुद्दीन कुरैशी 36वर्ष को 25-25 हजार रुपये की दो सक्षम जमानत और 50-50 हजार रुपये के बांड पर जमानत देने का आदेश दिया. माना जा रहा है कि इसी आधार पर 14 अन्य लोगों को जमानत का लाभ मिल सकता है, जिस पर सुनवाई शुक्रवार को होगी. आतंकवादी संगठन सिमी के सहयोगी होने के आरोप में जेल में बंद 16 लोगों की न्यायिक रिमांड 90 दिन के बाद भी बढ़ाने के मामले में निचली अदालत के फैसले को उच्च अदालत ने खारिज कर दिया. जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि अभियुक्तों को सुनवाई का अवसर दिए बिना ही रिमांड का विस्तार किया जाना उचित नहीं है.

अदालत से मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी पुलिस ने तीन माह पहले सिमी कार्यकर्ता होने के आरोप में 16 लोगों को गिरफ्तार किया. उनके खिलाफ धारा 3, 7, 10, 11, 13, 15, 16, 18 विधि विरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम 212, 216, 121, 124 (क), 153 (ए) भादवि और 25 आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई कर उन्हें अदालत में पेश किया. वे अभी न्यायिक रिमांड पर जेल में हैं. यह मामला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक कुमार की अदालत में चल रहा है. 90 दिन पूरा होने के बाद भी पुलिस आरोपियों के खिलाफ अदालत में चालान पेश नहीं कर सकी. तब सिविल लाइन सीएसपी राकेश भट्ट ने अदालत में उपस्थित होकर चालान पेश नहीं कर पाने का कारण बताया.

जिला अभियोजन अधिकारी ने विवेचना अपूर्ण होने का हवाला देकर रिमांड बढ़ाने का आवेदन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक कुमार की अदालत में पेश किया, जिसे 24 फरवरी 2014 को अदालत ने स्वीकार कर लिया. लेकिन इस दौरान अभियुक्त अदालत में उपस्थित नहीं थे.

अभियुक्त के वकील अमीन खान ने रिमांड का विस्तार करने के फैसले को जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविन्द कुमार श्रीवास्तव की अदालत में चुनौती दी और अभियुक्त अजहर उर्फ अजहरुद्दीन पिता शकीलुद्दीन, मोइनुद्दीन कुरैशी पिता नसीरुद्दीन शाह और मो.शेर अली पिता मो.गुलशेर अली का जमानत आवेदन पेश किया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया.

जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि अदालत अपने विवेक से रिमांड अवधि बढ़ा सकती है. लेकिन अभियुक्तों को सुनवाई का अवसर दिया जाना था या फिर उनके वकीलों की उपस्थिति होनी थी. लेकिन बिना सुने ही रिमांड का विस्तार किया जाना उचित नहीं है.

मो.दाउद खान, अब्दुल वाहिद, अब्दुल अजीज, शेख अजीज उल्ला, रोशन शेख, हैयात खान, शेख हबीब उल्ला, मो.असलम खान, शुभान खान, मोइनुद्दीन कुरैशी, मो.सईद, मो.उमेर, सलीम अहमद, मो.शेर अली न्यायिक रिमांड पर हैं. अजहर उर्फ अजहरुद्दीन और मो. उमेर सिद्दीकी एनआईए की रिमांड पर हैं.

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