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बिहार को विशेष दर्जा कब

पटना | एजेंसी: जाने-माने अर्थशास्त्री और रघुराम राजन समिति के सदस्य डॉ़ शैवाल गुप्ता का कहना हैं कि अब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना आसान हो जाएगा. उनका मानना है कि प्रति व्यक्ति आय, गरीबी दर, शहरीकरण की दर, संपर्क सूचकांक के आधार पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए.

देश में राज्यों के पिछड़ेपन को नए मानकों पर रख रघुराम राजन समिति ने जहां पिछड़ेपन को लेकर नई बहस छेड़ दी है. वैसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह जीत के पहले पड़ाव से कम नहीं है.

समिति ने विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त कर देश के 28 राज्यों को अल्प विकसित, कम विकसित और अपेक्षाकृत विकसित तीन श्रेणियों में बांट दिया है. समिति ने इसी आधार पर उन राज्यों के प्रदर्शन को देखते हुए धन आवंटन की सिफारिश की है.

रिपोर्ट में जिन 10 मानकों को पिछड़ेपन की कसौटी पर रखा गया है उनमें प्रति व्यक्ति मासिक उपभोक्त व्यय, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवार में सुविधाएं जैसी बातों को रखा गया है.

इधर, पटना विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का कहना है कि यह रिपोर्ट ही ‘आई वॉश’ है. इसमे कहीं भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का जिक्र नहीं है. वह कहते हैं कि समिति ने प्रति व्यक्ति आमदनी को आधार बनाने के बिहार के सुझाव को स्वीकार नहीं किया. उसने प्रति व्यक्ति उपभोग को आधार बनाया. इसी वजह से प्रति व्यक्ति आमदनी में बिहार से दोगुना ओडिशा पिछड़ेपन के निचले पायदान पर आ गया.

समिति ने बिहार सहित 10 राज्यों को सर्वाधिक पिछड़ा राज्य माना है. वैसे कुछ अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि पूर्व में तय मानकों के अभाव के कारण मानव विकास और आधारभूत संरचना के सभी सूचकांकों पर बिहार के सबसे पीछे रहने के बावजूद भी यह विशेष राज्य का दर्जा पाने का हकदार नहीं था और न ही इसे विशेष सहायता मिल पा रही थी. इनका मानना है कि अब कम से कम बिहार को विशेष सहायता तो मिलेगी.

वैसे यह तय है कि बिहार ने विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर एक लंबी लड़ाई लड़ी है. सबसे पहले वर्ष 2006 में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को बिहार विधानसभा में सर्वसम्म्सति से पारित कराया गया. इसके बाद तीन जून 2006 को मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को इस मुद्दे को लेकर पत्र लिखा. 10 मई 2010 से विशेष राज्य को लेकर जनता दल युनाइटेड द्वारा हस्ताक्षर अभियान चलाया गया तथा 14 जुलाई 2011 को प्रधानमंत्री को हस्ताक्षर सहित ज्ञापन सौंपा गया.

इस बीच पटना और दिल्ली में अधिकार रैली का आयोजन किया जिसमें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को प्रमुखता से उठाया गया. समिति की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री भी कह रहे हैं कि बिहार ने पिछड़े राज्यों को हक दिलाया और यह उनके सिद्धांत की जीत है.

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