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खेलों की तैयारियों से खुश नहीं है खेल मंत्री

नई दिल्ली | एजेंसी: केंद्रीय खेल मंत्री जीतेंद्र सिंह, ग्लासगो में होने वाले 2014 राष्ट्रमंडल खेलों और दक्षिण कोरिया में होने वाले एशियाई खेलों के लिए जारी तैयारियों से खुश नहीं हैं. सिंह को इस बात की नाराजगी है कि महज कुछ खेल महासंघों ने इन खेलों की तैयारियों के लिए विस्तृत प्रशिक्षण कार्यक्रम का ब्यौरा दिया है.

मंत्रालय ने महासंघों से सम्भावित पदक विजेताओं की सूची भी बनाने का कहा था लेकिन इस दिशा में भी कोई काम नहीं हो सका है. सिंह ने खेल महासंघों को यह भी निर्देश दिया था कि वे खेल सचिव की अध्यक्षता वाली स्टीयरिंग कमिटी के साथ हर हफ्ते एक बैठक करें और हर एक खेल के प्रशिक्षण कार्यक्रम की चर्चा करें. राष्ट्रमंडल खेलों से पहले तक यह प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए.

खेल मंत्रालय ने मंगलवार को जारी अपने बयान में कहा कि सिंह ने खेल महासंघों से कहा था कि वे हर एक खेल के लिए अलग से मुख्य कोच और सहयोगी स्टाफ की नियुक्ति करें और यह सुनिश्चित करें कि ये लोग अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें.

यह भी फैसला किया गया था कि खिलाड़ियों के लिए उच्चस्तरीय प्रशिक्षण की पहचान की जाए और फिर राष्ट्रीय खेल विकास निधी (एनएसडीएफ) से उसके लिए जरूरी धन मुहैया कराया जाए.

इसके लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के निदेशक को खर्चे का ब्यौरा पेश करने के लिए कहा गया है. इसकी मदद से खिलाड़ियों को उपयुक्त मदद मुहैया कराई जाएगी.

सिंह को इस बात की आशंका है कि अगले राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को कम से कम 30 पदकों का नुकसान होगा क्योंकि इसमें तीरंदाजी, ग्रीको रोमन कुश्ती, शूटिंग (टीम स्पर्धा) सहित कई स्पर्धाएं शामिल नही हैं.

नई दिल्ली में 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने उपयुक्त स्पर्धाओं में अपने कुल पदकों का 30 फीसदी हिस्सा हासिल किया था.

राष्ट्रमंडल खेलों की तुलना में एशियाई खेलों के लिए बाहर की गई स्पर्धाओं की संख्या काफी कम है. अगले एशियाई खेलों में शतरंज, बिलियर्ड्स और स्नूकर जैसी स्पर्धाएं नहीं होंगी.

मंत्री ने कहा कि वह यह जानना चाहते हैं कि भारत की राय जाने बिना आखिरकार इन स्पर्धाओं को दो साल पहले इस खेल आयोजन से कैसे बाहर कर दिया गया.

खेल मंत्री ने सचिव (खेल) से कहा है कि वह इस मामले को राष्ट्रमंडल खेल सचिवालय तक पहुंचाएं.

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