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हड़ताल से वित्तीय कारोबार प्रभावित

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: 2 सितंबर की हड़ताल का सबसे ज्यादा असर वित्तीय संस्थानों में देखा गया. देश भर के बैंक और बीमा उद्योग के लाखों कर्मचारियों के बुधवार को हड़ताल पर रहने से कारोबार व्यापक तौर पर प्रभावित हुआ है. हड़ताल सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में आहूत थी. ऑल इंडिया बैंक एंप्लाईज एसोसिएशन के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने कहा, “3,70,000 करोड़ रुपये मूल्य के चेक का निस्तारण प्रभावित हुआ.”

उन्होंने कहा कि बैंकों की करीब 75 हजार शाखाओं में कामकाज नहीं हुआ और करीब पांच लाख बैंक कर्मी हड़ताल पर रहे, जिनमें अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे.

बैंक एंप्लाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव प्रदीप विश्वास ने कहा, “पश्चिम बंगाल में 100 फीसदी कर्मचारी हड़ताल पर रहे. सरकारी और निजी दोनों बैंकों के कर्मचारी इसमें शामिल हुए. सभी बैंकों के कामकाज प्रभावित हुए.”

विश्वास ने कहा, “हमारे कुछ साथियों को स्थानीय राजनीतिक संगठनों से हड़ताल में नहीं शामिल होने की धमकी भी मिली. हमारे सदस्यों ने हालांकि उसकी परवाह नहीं की.”

सरकारी जीवन और गैर-जीवन बीमा कंपनियों में भी हड़ताल सफल रही.

ऑल इंडिया इंश्योरेंस एंप्लाईज एसोसिएशन के महासचिव वी. रमेश ने कहा, “भारतीय जीवन बीमा निगम और चार सरकारी गैर-जीवन बीमा कंपनियों में भी हड़ताल पूर्ण सफल रही. देशभर में बीमा क्षेत्र के करीब एक लाख कर्मचारी हड़ताल पर थे.”

उनके मुताबिक, पश्चिम बंगाल और केरल के बीमा कार्यालय बंद रहे.

गैर-जीवन बीमा कंपनियों के कर्मचारी कई अन्य मांगों के अलावा जल्द से जल्द वेतन समझौता पूर्ण करने, पदोन्नति नीति तय करने और आउटसोर्सिग बंद करने की मांग कर रहे हैं.

देश के परिवहन संघ भी प्रस्तावित सड़क परिवहन और सुरक्षा विधेयक पर हड़ताल पर रहे.

एआईईबीए के वेंकटचलम ने कहा कि जिला बैंकों के अलावा सभी 52 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में हड़ताल रहा. आईडीबीआई और नाबार्ड के कर्मचारी भी हड़ताल पर रहे.

वेंकटचलम ने कहा, “भारतीय स्टेट बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक के अलावा सभी बैंकों में हड़ताल रहा. कोटक बैंक में भी हड़ताल रहा.”

यह हड़ताल 10 केंद्रीय श्रमिक संघों की 12 सूत्री मांगों के पक्ष में की गई. बैंकिंग क्षेत्र के 14 संगठनों ने भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार द्वारा श्रम कानून, निविदा कानून, बिजली कानून और कंपनी कानून में बदलाव करने के विरोध में हड़ताल का साथ दिया.

कर्मचारियों के अधिकारों और सुविधाओं पर कैंची चलाने और नियोक्ताओं के लिए सुविधा बढ़ाने का आरोप लगाते हुए वेंकटचलम ने कहा कि श्रम कानून में खुल्लम-खुल्ला नियोक्ताओं के पक्ष में बदलाव किया जा रहा है, जो कर्मचारियों के लिए नुकसानदेह है.

उन्होंने कहा कि नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों से सिर्फ कर्मचारियों और आम आदमी की मुसीबत बढ़ रही है.

वेंकटचलम ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में लगातार निजीकरण, अधिग्रहण और विलय को बढ़ावा दिया जा रहा है.

उन्होंने कहा, “निजी पूंजी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है. निजी कंपनियों को बैंक शुरू करने के लिए लाइसेंस बांटे जा रहे हैं.”

उनके मुताबिक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के निजीकरण के लिए तमाम विरोधों के बावजूद संसद में एक विधेयक पारित किया गया है.

वेंकटचलम ने कहा, “एनपीए की समस्या दूर करने के लिए ठीक तरह से कोशिश नहीं की जा रही है, बल्कि बैंकों के लाभ में से करोड़ों रुपये को डूबा हुआ दिखाया जा रहा है.”

उन्होंने कहा, “31 मार्च, 2015 के मुताबिक बैंकों का एनपीए बढ़कर 2,97,000 करोड़ रुपये हो गया है. इससे अलग 530 कंपनियों को दिए गए 4,03,004 करोड़ रुपये के बुरे ऋण को पुनगर्ठित और सरलीकृत ऋण के तौर पर दिखाया गया है.”

उधर श्रमिक संघों ने एक संयुक्त बयान में कहा है, “यह हड़ताल अभूतपूर्व रही. लाखों श्रमिकों ने इसमें हिस्सा लिया.”

संघों ने कहा, “अर्थव्यवस्था का सभी क्षेत्र इससे प्रभावित हुआ है.”

बयान में कहा गया है, “यह हड़ताल खाद्य कीमतों में वृद्धि और आर्थिक सुस्ती रोक पाने में सरकार की विफलता के भी विरोध में थी, जिसकी वजह से व्यापक रूप से छंटनी हो रही है.”

हड़ताल से अलग रहने वाले भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार बुधवार की हड़ताल में शामिल होने वालों की समस्याएं समझेगी.

संयुक्त बयान में सरकार को चेतावनी दी गई है, “मांगों का समुचित समाधान करने के लिए उन्हें श्रमिक संघों से वार्ता शुरू करनी चाहिए. अन्यथा संघर्ष का स्तर बढ़ाया जाएगा.”

बयान के मुताबिक, आयुध कारखानों के मजदूरों के भी हड़ताल में शामिल होने से बुधवार को रक्षा क्षेत्र का उत्पादन भी ठप रहा.

वित्तीय, डाक, कोयला, लौह अयस्क, तांबा और एल्युमीनियम खदानों तथा चाय बागानों में हड़ताल पूर्ण सफल रही. बिजली और दूरसंचार क्षेत्र में भी हड़ताल लगभग सफल रही.

बयान के मुताबिक, 13 राज्यों में हड़ताल पूर्ण सफल रही, जिसमें शामिल रहे केरल, असम, गोवा, तेलंगाना, पुड्डचेरी, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, मणिपुर, उत्तराखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड.

पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली और मेघालय में इसका व्यापक असर देखा गया.

श्रमिक संघों ने कहा है कि अधिकतर सार्वजनिक परिवहन सेवाएं ठप रहीं.

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