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नाथूराम गोडसे ने ही की थी महात्मा गांधी की हत्या: रिपोर्ट

नई दिल्ली। डेस्क: महात्मा गांधी की हत्या किसी और ने नहीं बल्की नाथूराम गोडसे ने ही की थी. एमीकस क्‍यूरी (न्यायमित्र) अमरेंद्र शरण ने इस मामले के संबंध में अपनी रिपोर्ट सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी. एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट में कहा गया कि इसका कोई सबूत नहीं मिलता है कि महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और ने की थी. रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि चौथी गोली की थ्योरी भी किसी भी तरह साबित नहीं होती है. इससे जुड़ा कोई भी साक्ष्य नहीं मिला है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 4,000 पन्नों की ट्रायल कोर्ट की रिपोर्ट और साल 1969 की जीवन लाल कपूर इंक्वायरी कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर एमीकस क्‍यूरी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट में कहा गया कि इस मामले में दोबारा जांच की जरूरत नहीं है.

क्या है चौथी गोली की थ्योरी
मुंबई के शोधकर्ता और अभिनव भारत के न्यासी डॉ. पंकज फडणीस ने अक्टूबर 2017 में महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच करवाए जाने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी. इसमें दावा किया गया था कि यह (महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ी जांच) इतिहास का सबसे बड़ा ‘कवर अप्स’ (पर्दा डालना) रहा है. नाथूराम विनायक गोडसे ने तीस जनवरी 1948 को नजदीक से गोली मारकर महात्‍मा गांधी की हत्या कर दी थी. याचिका में दावा किया गया कि बापू की हत्या एक रहस्यमय शख्स ने की है. उस शख्स ने ‘चौथी गोली’ चलाई थी, जो गांधी की मौत के लिए जिम्मेदार थी.

कोर्ट ने नियुक्त किया था एमीकस क्‍यूरी
बापू की हत्या की दोबारा जांच की मांग पर कोई विचार करने से पहले कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र शरण को एमीकस क्‍यूरी (न्यायमित्र) नियुक्त किया. न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने इस मामले में अदालत की मदद करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व अतिरक्त सॉलिसिटर जनरल अमरेंद्र शरण को न्यायमित्र नियुक्त किया.
याचिका पर करीब 15 मिनट तक सुनवाई चली थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि जिस मामले पर वर्षों पहले फैसला हो चुका है, उस पर ”कानून में कुछ भी नहीं किया जा सकता.”

पड़पोते तुषार गांधी ने किया था जांच का विरोध
महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी 70 वर्ष पहले हुई महात्मा गांधी की हत्या के मामले को फिर से खोलने की मांग करने वाली याचिका का विरोध करते हुए 30 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. इस दौरान न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एमएम शांतानागौदर की पीठ ने तुषार से ये सवाल कर लिया था कि वे किस हैसियत से इस याचिका का विरोध कर रहे हैं?
बाद में कोर्ट की पीठ ने कहा था कि इस मामले में कई सारे किंतु-परंतु हैं और अदालत न्यायमित्र अमरेंद्र शरण की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहेगी.

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