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कश्मीर में तीसरा पक्ष मंजूर नहीं

नई दिल्ली | एजेंसी: भारत ने बुधवार को साफ कर दिया है कि कश्मीर में तीसरा पक्ष मंजूर नहीं है. भारत ने पाकिस्तान को साफ कर दिया कि 1972 के शिमला समझौते के बाद जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान मात्र दो घटक ही हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने ट्विटर पर लिखा, “शिमला समझौते के बाद जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे पर मात्र दो घटक हैं- भारत और पाकिस्तान. इसके अलावा कोई नहीं.”

अकबरुद्दीन ने कहा, “शिमला समझौते और लाहौर घोषणा पत्र में निहित दृष्टिकोण से अलग किसी दृष्टिकोण से भारत, पाकिस्तान संबंधों में कोई परिणाम नहीं निकलता”

पाकिस्तानी उच्चायुक्त का कहना है कि वह हुर्रियत नेताओं से इसलिए मुलाकात कर रहे हैं, क्योंकि वे जम्मू एवं कश्मीर की जनता के प्रतिनिधि हैं, और कश्मीर मुद्दे में घटक हैं.

इस पर अकबरुद्दीन ने कहा कि “शिमला समझौता एक सिद्धांत है, जो हमारे द्विपक्षीय संबंधों का आधार है. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज शरीफ के बीच 1999 के लाहौर घोषणा पत्र में भी इसे दोहराया गया था.”

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने उच्चस्तर पर भारत को आश्वासन दिया है कि वे जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे पर एक शांतिपूर्ण संवाद के लिए प्रतिबद्ध हैं और वे पाकिस्तान या पाकिस्तान नियंत्रित क्षेत्र का इस्तेमाल हमारे खिलाफ आतंकवाद के लिए नहीं करेंगे.

अकबरुद्दीन ने कहा, “खासतौर से मुंबई आतंकवादी हमले और उसके बाद पाकिस्तान ने जिस तरीके से इसकी जांच व सुनवाई को लिया है, उससे हमें अब पता चल गया है कि इस आश्वासन का कोई अर्थ नहीं है और शिमला समझौते द्वारा और लाहौर घोषणा पत्र द्वारा निर्धारित दृष्टिकोण के अलावा किसी दृष्टिकोण का कोई परिणाम नहीं निकलता.”

अकबरुद्दीन की यह प्रतिक्रिया पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित के उस कथन के जवाब में थी, जिसमें उन्होंने कहा कि सोमवार और मंगलवार को कश्मीरी अलगाववादियों के साथ उनकी मुलाकात एक पुरानी परंपरा है और सभी घटकों से बातचीत करना महत्वपूर्ण है.

बासित ने कहा कि हुर्रियत नेताओं से उनकी मुलाकात कश्मीर मुद्दे का एक उचित समाधान निकालने के लिए थी.

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