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ट्रिपल म्यूटेंट कोरोना वायरस से सावधान !

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में एक नये कोरोना वायरस ने चिकित्सकों को चिंता में डाल दिया है. इस ट्रिपल म्यूटेंट वायरस की पहचान के बाद चिकित्सकों का कहना है कि अगर सावधानी नहीं बरती गई तो कोरोना से लड़ना और मुश्किल हो सकता है.

अधिकांश वायरस अपने को बचाये रखने और प्रभावी बनाये रखने के लिए अपनी जेनेटिक संरचना में बदलाव करते रहते हैं. किसी वायरस की प्रतिकृति या उसकी नई पीढ़ी के निर्माण की प्रक्रिया में, उसके डीएनए में जो भिन्न-भिन्न बदलाव आते हैं, उसे म्यूटेशन कहा जाता है.

कोरोना वायरस में अभी तक दो तरह के वायरस म्यूटेशन की बात आ रही थी. लेकिन अब महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के कोरोना मरीज़ों की जीनोम सिक्वेंसिंग में ट्रिपल म्यूटेंट वायरस की पहचान की गई है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि इसमें E484K वैरिएंट के अंश भी है. ट्रिपल म्यूटेंट कोरोना वायरस किसी के भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम को धोखा दे सकता है.

CSIR-IGIB के रिसर्चर डॉ. विनोद स्कारिया केका कहना है कि E484K वैरिएंट इम्यून सिस्टम से बचने में महारत हासिल रखता है. इसके जेनेटिक सेट्स दुनिया के कई कोरोना वायरस वैरिएंट्स में मिल रहे हैं. E484K जेनेटिक सेट्स वाले नए म्यूटेंट कोरोना वायरस प्लाज्मा थैरेपी से भी ठीक नहीं हो रहे हैं.

B.1.618 वैरिएंट के नाम से चिन्हांकित इस वायरस को लेकर रायपुर एम्स के निदेशक डॉक्टर नितिन नागरकर का कहना है कि हरेक वायरस में समय के अनुसार बदलाव होता है और अभी इस वायरस के म्यूटेंट का विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है.

फेफड़ा से अधिक दूसरे अंगों को नुकसान

छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष और जाने-माने चिकित्सक डॉक्टर राकेश गुप्ता का कहना है कि कोई भी वायरस अपने बचाव के लिए प्रोटीन के सेल की संरचना में बदलाव करता है. कोरोना के ट्रिपल म्यूटेंट का भी यही अर्थ है.

उन्होंने आसान भाषा में समझाते हुए कहा कि किसी भी बैक्टरिया या वायरस पर जब हमला किया जाता है तो वह रुप बदलता है ताकि वह एंटीबॉयोटिक या जिस शस्त्र का उस पर हमला किया जा रहा है, उसका असर न हो या कम हो. वायरस अपनी बाहर की प्रोटीन की दीवार सुरक्षित करने के लिए, प्रोटीन के सेल्स स्ट्रक्चर में बदलाव करता है.

डॉक्टर राकेश गुप्ता का कहना है कि कोरोना के जो नये मरीज आ रहे हैं, उनमें इस बीमारी के लक्षण भी अलग आ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पुराना वायरस शरीर के श्वसन प्रणाली पर ज़्यादा असर डालता था. ये सामान्य स्पाइनल सिस्टम या एस्केलेटल सिस्टम पर ज़्यादा प्रभाव डाल रहा है. मांसपेशियों और जोड़ों पर, न्यूरोलॉजिकल या नर्वस सिस्टम पर इसका ज्यादा असर नज़र आ रहा है.

डॉक्टर राकेश गुप्ता इस बात से अधिक चिंतित हैं कि इस ट्रिपल म्यूटेंट कोरोना वायरस की पहचान मुश्किल हो रही है. उनका कहना है कि कोरोना के आरटीपीसीआर जांच में भी ट्रिपल म्यूटेंट कोरोना वायरस कई बार इस कारण पकड़ में नहीं आ रहा है क्योंकि जांच पुराने वायरस की संरचना के अनुरुप तय हैं.

बचाव

छत्तीसगढ़ में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. महेश सिन्हा का कहना है कि जो नये शोध आये हैं, उनके अनुसार अब हवा से भी कोरोना का वायरस फैल रहा है. ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस से बचाव के जो मानक तय किये गये हैं, वही मानक वायरस के नये म्यूटेंट से बचाव में उपयोगी हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि हाथ धोना, दूरी बनाये रखना, बंद कमरों में बैठने से बचना और मॉस्क पहनना हर स्थिति में ज़रुरी है.

छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच चिकित्सकों ने अनुमान लगाया था कि राज्य में अगले सप्ताह से कोरोना के मामले कम होंगे. लेकिन अब नये किस्म के कोरोना वायरस के कारण आने वाले दिन और चुनौती भरे हो सकते हैं.

इनपुट्सः BBC

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