स्वास्थ्य

90 मिनट में टीबी की जांच

वाशिंगटन | एजेंसी: टीबी का मुफ्त और अत्यधिक प्रभावी इलाज मौजूद है, फिर भी भारत में हर साल इस बीमारी से हजारों लोग काल के गाल में समा जाते हैं. टीबी को लेकर हुए एक ताजा अध्ययन के अनुसार, देश में टीबी के कई मामलों की तो पुष्टि तक नहीं हो पाती, जिसका मुख्य कारण है निजी चिकित्सकों का बेहद लचर स्वास्थ्य सेवा तकनीक से लैस होना.

अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को टीबी की बेहतर तरीके से जांच के लिए उन्नत एवं अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध कराया जाना चाहिए, क्योंकि मरीज इलाज के लिए सबसे पहले वहीं पहुंचते हैं.

अमरीका के जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के मुख्य शोधकर्ता हेनरिक साल्जे ने कहा, “भारत के अधिकांश लोग टीबी के शुरुआती दौर में निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के पास खांसी का इलाज कराने पहुंचते हैं.”

अध्ययन में कहा गया है कि टीबी की चिकित्सा मुहैया कराने वाले सरकारी अस्पतल तो बेहतर तकनीकों से लैस हैं, लेकिन मरीज इन चिकित्सालयों के प्रति उदासीन हैं.

साल्जे कहते हैं, “निजी सेवा प्रदाता प्राय: टीबी के लिए गलत जांच कराते हैं. सही जांच के अभाव में मरीज एक चिकित्सक से दूसरे चिकित्सक का चक्कर लगाते रहते हैं.”

शोध पत्रिका ‘पीएलओएस मेडिसीन’ में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, निजी चिकित्सक लंबे समय से स्पूटम स्मियर माइक्रोस्कोपी, खखार की जांच ही कराते आ रहे हैं, जबकि इस जांच में आधे से ज्यादा टीबी मरीजों में रोग का पता ही नहीं चल पाता.

टीबी की जांच के लिए आधुनिकतम टेस्ट ‘एक्सपर्ट एमटीबी/आरआईएफ’ मात्र 90 मिनट में मरीज में टीबी संक्रमण की पुष्टि कर सकता है. इसकी मदद से माइक्रोस्कोपी जांच में छूटने वाले 70 फीसदी मामले भी पकड़ में आ जाते हैं. साथ ही यह भी पता लगाया जा सकता है कि मरीज में पाया गया विषाणु रिफैंपिन प्रतिरोधी तो नहीं है, क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण टीबी-रोधी दवा है.

भारत में ‘एक्सपर्ट एमटीबी/आरआईएफ’ जांच द्वारा टीबी की जांच की शुरुआत हो गई है, लेकिन इसका इस्तेमाल केवल एचआईवी ग्रस्त मरीजों में टीबी का पता लगाने या बहुऔषध प्रतिरोधी टीबी के मरीजों के लिए हो रहा है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!