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यूपी भाजपा अध्यक्ष का दामन, दागदार

लखनऊ | एजेंसी: उत्तरप्रदेश भाजपा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष के दामन पर हत्या, धोखाधड़ी तथा दंगा भड़काने का आरोप है. भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्या को उत्तरप्रदेश चुनाव के पहले राज्य का अध्यक्ष निर्वाचित किया है. पार्टी विथ डिफरेंस का नारा देने वाली भाजपा के राज्य अध्यक्ष के पद पर ऐसे व्यक्ति को चुना गया है जिन पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में होने वाला विधानसभा चुनाव बहुमत से जीतने की जिम्मेदारी जिस व्यक्ति को सौंपी है, जिसकी छवि तो कट्टर हिंदुत्ववादी रही है, लेकिन उनके दामन पर आपराधिक मामलों के कई दाग भी हैं. वह जेल भी जा चुके हैं.

भाजपा ने पिछड़ा व हिंदुत्ववादी होने के नाते केशव प्रसाद मौर्य पर दांव खेला है. मगर सच तो यह है कि सांसद बनने के बाद वह अपने क्षेत्र सिराथू में हुए विधानसभा उपचुनाव में भी पार्टी को जीत नहीं दिला पाए थे.

वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को उप्र में शानदार जीत मिली थी. केशव प्रसाद मौर्य को भी फूलपुर से टिकट मिला था और ‘मोदी लहर’ में वह संसद में पहुंचने में कामयाब रहे. इससे पहले वह सिराथू विधानसभा से वह विधायक भी थे.

सांसद बनने के बाद 13 सितंबर, 2014 को सिराथू सीट पर उपचुनाव हुआ था. लेकिन उनकी ही सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार वाचस्पति पासी ने भाजपा उम्मीदवार संतोष सिंह पटेल को लगभग 25 हजार मतों से हराया था.

मौर्य के खिलाफ इलाहाबाद में कई आपराधिक मामले भी दर्ज हैं. वर्ष 2007 में मौर्य पर ईद के दिन चांद उर्फ मोहम्मद गौस की हत्या की साजिश का भी आरोप लगा था. इसके लिए वह जेल भी जा चुके हैं. हालांकि इस मामले में वह बरी हो चुके हैं.

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में दिए गए शपथपत्र के मुताबिक, उन पर 11 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं. इनमें 302 (हत्या), 153 (दंगा भड़काना) और 420 (धोखाधड़ी) जैसे आरोप शामिल हैं.

लोकसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्या का हलफ़नामा

केशव प्रसाद मूलत: सिराथू (कौशांबी) के कसया गांव के रहने वाले हैं. वे अखबार भी बेचा करते थे. आज उनके पास करोड़ों की संपत्ति है.

लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन के समय दिए हलफनामे के अनुसार, उनके पास पेट्रोल पंप, एग्रो ट्रेडिंग कंपनी है. इलाहाबाद के जीवन ज्योति अस्पताल में पति-पत्नी पार्टनर भी हैं. इन्होंने सामाजिक कार्यो के लिए कामधेनु चेरिटेबल सोसाइटी भी बनाई है.

मौर्य 18 साल तक इलाहाबाद में गंगापार और यमुनापार में विहिप के प्रचारक रह चुके हैं. 2012 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट से भारी मतों से जीते. वे दो साल तक विधायक रहे. 2014 में पहली बार फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद बने.

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा दलितों और पिछड़ों को लुभाना चाहती है. इसी वजह से केशव प्रसाद मौर्य को नया अध्यक्ष बनाया गया है.

पिछले तीन प्रदेश अध्यक्ष सवर्ण जाति के थे. वे विधानसभा चुनाव में कुछ खास नहीं कर पाए थे. ऐसे में पार्टी ने पिछड़ी जाति के नेता मौर्य पर दांव लगाया है. पार्टी को उम्मीद है कि मौर्य के नेतृत्व में पार्टी बसपा के वोट बैंक में सेंध लगा पाएगी.

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