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विटामिन-डी की कमी से हो सकता है हार्ट फेल

नई दिल्ली | इंडिया साइंस वायर: विटामिन-डी की कमी से आपका हार्ट फेल हो सकता है. शरीर में विटामिन-डी का उत्पादन करने के लिए हर रोज धूप की खुराक हड्डियों की मजबूती के साथ-साथ हृदय को सेहतमंद रखने में भी मददगार हो सकती है.

एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि हृदय को स्वस्थ रखने में भी विटामिन-डी महत्वपूर्ण हो सकता है. यह तो दशकों से सभी जानते हैं कि शरीर में विटामिन-डी की कमी से हड्डियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

पिछले कुछ सालों में वैज्ञानिकों ने विटामिन-डी की कमी की पहचान हृदय के स्वास्थ्य को निर्धारित करने वाले कारक के रूप में की है. अब भारतीय शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि विटामिन-डी की कमी से होने वाले इंसुलिन प्रतिरोध के कारण भी हार्ट फेल हो सकता है.

इंसुलिन बेहद उपयोगी हार्मोन है जो रक्त में उपस्थित शर्करा को ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं. इंसुलिन शरीर में कई ऊतकों में कोशिकीय चयापचय के नियमन में भी भूमिका निभाता है.

हृदय कोशिकाओं में इंसुलिन प्रतिरोध के कारण हृदय में ग्लूकोज और वसा अम्ल जैसे ऊर्जा उत्पादकों का उपयोग बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है.

हृदय को नुकसान पहुंचाने वाले अधिक वसा और उच्च कैलोरी वाले भोजन जैसे कारकों की तरह विटामिन-डी की कमी का अध्ययन करने के लिए शोधकर्ताओं ने चूहों पर एक प्रयोग किया है.

उन्होंने चूहों के तीन समूह बनाए और इन समूहों को अलग-अलग तीन प्रकार के आहार दिए. इनमें एक समूह को पर्याप्त विटामिन-डी, दूसरे को विटामिन-डी की कमी और तीसरे को उच्च वसा और उच्च फ्रूक्टोज वाला भोजन दिया गया.

बीस सप्ताह बाद पाया गया कि जिन चूहों को विटामिन-डी की कमी वाला आहार दिया गया था, उनके हार्ट फेल हो रहे थे.

इन चूहों के हृदय में कुछ उसी तरह के आणविक और कार्यात्मक बदलाव देखे गए जो अधिक वसा और उच्च फ्रूक्टोज युक्त आहार का सेवन करने वाले चूहों में पाए गए थे.

शोधकर्ताओं ने पाया कि केवल विटामिन-डी की कमी के कारण होने वाला हृदय संबंधी विकार और उच्च कैलोरी आहार जैसे अन्य जोखिम कारकों के कारण होने वाले विकार बिल्कुल समान थे.

कुछ मापदंडों में तो विटामिन-डी की कमी का प्रभाव अधिक पाया गया. हृदय की मांसपेशियों के विस्तार के लिए उत्तरदायी जीन्स की अभिव्यक्ति अपेक्षाकृत अधिक देखी गई है.

हृदय की दीवार की मोटाई, हृदय-कक्षों के आंतरिक व्यास और हृदय की संकुचन क्षमता द्वारा इन निष्कर्षों की पुष्टि हुई है.

फरीदाबाद स्थित ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (टीएचएसटीआई) के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. संजय कुमार बनर्जी ने बताया कि हमने विटामिन-डी की कमी और हृदय संबंधी विकारों के बीच की कड़ी का पता लगाया है और जानने का प्रयास किया है कि यह कैसे हार्ट फेल होने का कारण बन सकती है.

उन्होंने कहा कि विटामिन-डी और इसकी संकेतक प्रक्रिया दिल के पेशीय ऊतकों से संबंधित इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रभावित करती है. इंसुलिन की कमी होने से ग्लूकोज के ऊर्जा में परिवर्तित होने का क्रम टूट जाता है और हार्ट फेल होने की स्थिति बनने लगती है.

यह शोध शरीर में विटामिन-डी ग्राहियों की सक्रियता को ध्यान में रखते हुए हार्ट फेल होने को नियंत्रित करने के लिए नई दवाएं तैयार करने में सहायक हो सकता है.

नई दिल्ली स्थित नेशनल डायबिटीज ओबेसिटी ऐंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन से जुड़े डॉ. अनूप मिश्रा, जो इस अध्ययन में शामिल नहीं हैं, के अनुसार हमारे पास इस बात के प्रमाण हैं कि भारतीयों में विटामिन-डी की कमी का निश्चित रूप से इंसुलिन प्रतिरोध और मधुमेह में महत्वपूर्ण योगदान है.

मिश्रा का कहना है कि हमारे पिछले शोध और भारतीयों पर किए जा रहे अन्य शोध दर्शाते हैं कि विटामिन-डी के पूरक इंसुलिन प्रतिरोध को सुधारने और रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं.

यह शोध मॉलिक्यूलर न्यूट्रिशन ऐंड फूड रिसर्च नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है. शोधकर्ताओं में हिना लतीफ निजामी, परमेश्वर कटारे, यशवंत कुमार और संजय कुमार बनर्जी (टीएचएसटीआई, फरीदाबार); पंकज प्रभाकर, सुबीर कुमार मौलिक, सुधीर कुमार आरव (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली) और प्रलय चक्रवर्ती (वीएमएमसी एवं सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली) शामिल थे.

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