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शिवराज के भविष्य पर असर?

श्रवण गर्ग
क्मया व्ध्ययापमं घोटाले का असर शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक भविष्य पर पड़ेगा? प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी गंभीर मुश्किलों में नज़र आ रही है. समूची पार्टी अपने सारे काम काज छोड़कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के बचाव की मुद्रा में है. व्यावसायिक परीक्षा मंडल, व्यापमं में हुए घोटाले और उसमें कथित तौर पर शामिल या उसके साथ किसी भी तरह से जुड़े लोगों की एक के बाद एक हो रही मौतों ने कोई एक दशक में पहली बार मुख्यमंत्री को बुरी तरह से हिला कर रख दिया है.

शिवराज सिंह के लगातार किए जाने वाले दावे अगर सही हैं कि व्यापमं फ़र्ज़ीवाड़े का खुलासा उन्होंने ही करवाया था और जांच के आदेश दिए थे तो वे अब अपने किए पर खेद व्यक्त कर रहे होंगे. लगातार हो रही मौतों को लेकर जिस तरह से दहशत का वातावरण बन रहा है या फिर बनाया जा रहा है उससे ऐसा लगता है कि आने वाले दिन पार्टी और सरकार के लिए विपक्ष की ओर से और भी परेशानी पैदा करने वाले साबित हो सकते हैं.

000अभूतपूर्व राजनीतिक संकट
समूचा राज्य प्रशासन जैसे कि इस समय ठप्प पड़ गया हो. हरेक व्यक्ति की नज़रें मुख्यमंत्री पर टिकी हुई हैं कि वे सामने खड़े संकट से किस तरह से निपटते हैं. मध्य प्रदेश में ऐसा राजीतिक और प्रशासनिक संकट पहले कभी नहीं पैदा हुआ कि किसी घोटाले को लेकर राज भवन, मुख्यमंत्री निवास, मंत्रिमंडल के कई सदस्य, भारतीय प्रसाशनिक और पुलिस सेवा के कई अफ़सर सभी एक साथ संदेह के घेरे में खड़े पाए जाएं. भाजपा में किसी समय प्रधानमंत्री पद के एक सशक्त दावेदार माने जाने वाले शिवराज सिंह इस समय अपना मुख्यमंत्री का पद बचाने के संघर्ष में जुटे हुए हैं.

भाजपा का संकट यह है कि पहले सुषमा स्वराज फिर वसुंधरा राजे, स्मृति ईरानी और पंकजा मुण्डे के बाद अब उसे शिवराज को बचाने की कवायद करना पड़ रही है. आम तौर पर माना जाता है कि शिवराज सिंह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का संरक्षण और आशीर्वाद प्राप्त है.

000हजारों लोग जेल में
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की चर्चा करें तो लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज का भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को खुला समर्थन हासिल रहा है. राजनाथ सिंह द्वारा व्यापमं घोटाले को लेकर वर्तमान में चल रही जांच के प्रति संतोष व्यक्त करना और सीबीआई जांच की मांग को न्यायालय के फैसले पर छोड़ देना मुख्यमंत्री के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा सकता है. मुख्यमंत्री के नज़दीकी लोगों को भरोसा है की व्यापमं घोटाले को लेकर विपक्ष द्वारा बनाए जा रहे दबाव का पार्टी की ताकत और सरकार के स्थायित्व पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है.

इस आत्मविश्वास के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि व्यापमं फ़र्ज़ीवाड़े की जांच एक लम्बे समय से चल रही है और इसे लेकर हजारों लोग जेलों में बंद भी हैं. इनमें मंत्रिमंडल के एक प्रमुख पूर्व सहयोगी के साथ ही कई नामी हस्तियां भी शामिल हैं.

000उपचुनावों में जीत
इस सबके बावजूद सत्तारूढ़ पार्टी ने शिवराज सिंह के नेतृत्व में सभी उपचुनावों में जीत हासिल की है. पार्टी ने हाल ही में गरोठ उपचुनाव भी जीता है. ऐसी स्थिति में इन लोगों को पूरा यकीन है कि मुख्यमंत्री का कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है.

अब देखना यह होगा कि घोटाले को लेकर साध्वी और केंद्रीय मंत्री उमा भारती द्वारा इशारों-इशारों में की गई मांग का मध्य प्रदेश की राजनीति पर क्या असर होता है.

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