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विजय बहादुर की मौत हादसा या साजिश?

भोपाल | समाचार डेस्क: व्यापमं से जुड़े लोगों की मौतों का सिलसिला 3 माह बाद एक बार फिर शुरू हो गया है. इस बार मौत का शिकार बने हैं परीक्षाओं के पूर्व पर्यवेक्षक विजय बहादुर सिंह. वह रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे और उनका शव ओडिशा के बेलपहाड़ स्टेशन के पास रेल लाइन पर मिला है. सवाल यह है कि विजय बहादुर की मौत हादसा है या वह भी किसी साजिश का शिकार बने हैं.

ओडिशा रेलवे पुलिस के अनुसार, गुरुवार को बेलपहाड़ स्टेशन के पास रेलवे लाइन पर एक शव मिला था, जिसकी पहचान विजय बहादुर के तौर पर हुई है. वह अपनी पत्नी नीता सिंह के साथ पुरी-जोधपुर एक्सप्रेस में यात्रा कर रह थे. उनकी पत्नी को भी झारसुगुडा से लगभग 70 किलोमीटर रास्ता तय होने के बाद रायगढ़ में पता चला कि उनके पति डिब्बे में नहीं हैं.

भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी विजय बहादुर व्यापमं की 2010 से 2013 के बीच हुई करीब 12 परीक्षाओं में प्रश्न पत्र चयन करने से लेकर उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन करवाने और विधि सम्मत परीक्षा संपन्न होने का प्रमाण पत्र देने वाले केंद्रीय पर्यवेक्षक थे. उनकी देखरेख में हुई दो परीक्षाओं में प्राथमिकी दर्ज है और उसमें से एक परीक्षा शिक्षक वर्ग-तीन की पात्रता परीक्षा-2011 में अनियमितता को लेकर पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और कई बड़े अधिकारी जेल में हैं.

सूचना का अधिकार कार्यकर्ता अजय दूबे ने कहा, “जिस पुरी-जोधपुर एक्सप्रेस में विजय बहादुर यात्रा कर रहे थे, उसे एक मिनट के लिए बेलपहाड़ स्टेशन पर रोका गया था. यह स्टेशन घटनास्थल से लगभग 200 मीटर बाद आता है, जहां इस गाड़ी का ठहराव ही नहीं है.”

उन्होंने रेलवे से मिली जानकारी के हवाले से कहा कि मालगाड़ी आने के कारण रेलगाड़ी को रात 12.44 बजे रोका गया था.

दूबे के मुताबिक, मालगाड़ी के दूसरी लाइन पर होने की स्थिति में गाड़ी की रफ्तार तो धीमी होती है, लेकिन उसे रोका नहीं जाता. बस यही बात शंका को जन्म देने वाली है. इस एक मिनट में कोई भी कुछ भी कर सकता है.

व्यापमं के व्हिसलब्लोअर डॉ. आनंद राय ने कहा, “विजय बहादुर की रेलगाड़ी से गिर कर हुई मौत संदिग्ध है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति चलती रेलगाड़ी से आसानी से नहीं गिर सकता.”

इस घटना ने डॉ. राय को भी सचेत कर दिया है, क्योंकि जब वह यात्रा करते हैं तो उनके साथ कोई सुरक्षाकर्मी नहीं होता. उन्होंने कहा, “वह पुलिस प्रशासन से मांग करेंगे कि उन्हें यात्रा के दौरान सुरक्षा मुहैया कराई जाए.”

सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजय वाते ने कहा, “होने के लिए तो कुछ भी हो सकता है. मगर बगैर परिस्थिति को जाने-समझे कुछ भी कहना संभव नहीं है. उस वक्त क्या परिस्थिति रही, दरवाजा कैसे खुल गया और व्यक्ति कैसे नीचे गिर गया, यह समझना जरूरी है.”

अपराध अनुसंधान से जुड़े एक विशेषज्ञ ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि वातानुकूलित श्रेणी के कोच का दरवाजा कैसे खुला, उस गाड़ी में और भी यात्रियों के साथ कोच अटेंडेंट रहा होगा, उसे यह कैसे पता नहीं चला कि उसके डिब्बे से कोई व्यक्ति गिर गया है. वहीं विजय बहादुर के गिरने के बाद ही गाड़ी बेलपहाड़ में क्यों रुकी, जबकि विजय बहादुर का शव बेलपहाड़ स्टेशन से पहले मिला है. ये सारी परिस्थितियां जांच का विषय हो सकती हैं.

विशेषज्ञ के अनुसार, विजय बहादुर की मौत का मसला ठीक उसी तरह संदिग्ध है, जैसा झाबुआ की नम्रता डामोर की मौत का मामला रहा है. व्यापमं से जुड़ी नम्रता की मौत को प्रारंभ में एक हादसा बताया गया था. बाद में पता चला कि उसकी हत्या हुई है. सीबीआई मामले की जांच कर रही है.

विशेषज्ञ के अनुसार, विजय बहादुर जिन 12 परीक्षाओं के पर्यवेक्षक रहे हैं, उनमें से दो परीक्षाओं में एसटीएफ ने प्राथमिकी दर्ज की थी. लिहाजा सीबीआई दोनों परीक्षाओं को जांच के दायरे में ले सकती है. ऐसी स्थिति में विजय बहादुर से भी पूछताछ संभव थी.

उल्लेखनीय है कि व्यापमं घोटाले की जांच सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर इस समय सीबीआई कर रही है. नौ जुलाई को सीबीआई को जांच सौंपे जाने के बाद व्यापमं में यह पहली मौत है. इसके पहले इस मामले से जुड़े 48 लोगों की मौत हुई थी. इसमें ‘आज तक’ के पत्रकार अक्षय सिंह भी शामिल हैं.

राज्य में व्यापमं चिकित्सा महाविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज तथा अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा से लेकर विभिन्न विभागों की तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी भर्ती परीक्षाएं आयोजित करता है. जुलाई 2013 में व्यापमं घोटाले के सामने आने पर मामला एसटीएफ को सौंपा गया और फिर उच्च न्यायालय ने जांच की निगरानी के लिए पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी बनाई. नौ जुलाई, 2015 को जांच सीबीआई को सौंपी गई.

व्यापमं मामले में एसटीएफ ने कुल 55 प्रकरण दर्ज किए गए थे. एसटीएफ ने 2,100 आरोपियों की गिरफ्तारी की, वहीं 491 आरोपी अब भी फरार हैं. एसटीएफ ने इस मामले के 1,200 आरोपियों के चालान किए थे.

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