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प. बंगाल: BJP बनायेगी LEFT की सरकार

रायपुर | जेके कर: भाजपा पश्चिम बंगाल में वाम की फिर ताजपोशी का कारण हो सकती है. कम से कम 2014 के लोकसभा चुनाव के आकड़े तथा ताजा राजनीतिक हालात तो यही संकेत देत रहें है. वैसे वाम के सत्तारूढ़ होने से सबसे ज्यादा राजनीतिक नुकसान भाजपा को ही होने वाला है क्योंकि वामपंथ फिर से बंगाल में सत्तारूढ़ होने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा तथा मोदी सरकार के नीतियों तथा योजनाओं का जमकर विरोध करेगा. दूसरी तरफ यदि ममता बनर्जी यदि सत्ता में बनी रहती है तो वह भाजपा के लिये फायदे का सौदा होगा क्योंकि वे राष्ट्रीय राजनीति के बजाये राज्य की राजनीति पर ज्यादा जोर देती हैं.

यह अलग बात है कि कई मौकों पर तृणमूल कांग्रेस केन्द्र की भाजपा सरकार का विरोध करती है परन्तु उसके पास वह वैचारिक तथा सैद्धांतिक हथियार नहीं है जो वामपंथ के पास है. इसलिये ममता के रहने से भाजपा को राजनीतिक खतरा कम है.

अब तक किसी भी नजरियें से पश्चिम बंगाल में भाजपा की अपने दम पर सरकार बनती नज़र नहीं आ रही है. इससे सवाल उठता है कि फिर भाजपा का पश्चिम बंगाल में रोल क्या है. जाहिर है कि केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा एक महत्वपूर्ण राज्य में जोर अजमाइश से भला कैसे पीछे रह सकती है. वहां पर सफल हो न हो कम से कम अपना मत प्रतिशत तो बढ़ाने की कोशिश कर ही सकती है. जिसकी हर राष्ट्रीय पार्टी को जरूरत होती है.

पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा को यदि कुछ सीटें मिल जाती है तो राज्य में उसका राजनीतिक अस्तित्व बना रहेगा तथा आगे के लोकसभा चुनाव में इसका फायदा होगा.

बात हो रही थी भाजपा पश्चिम बंगाल में वामपंथ की सरकार बना सकती है. अब इस पर भी गौर करते है यह लोकसभा चुनाव के आकड़ों तथा राज्य से मिल रहे ताजा राजनीतिक रुझानों पर आधारित है.

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 17.2 फीसदी, कांग्रेस को 9.69 फीसदी तथा वामपंथ को 29.95 फीसदी मत मिले थे. जबकि तृणमूल कांग्रेस को 39.79 फीसदी वोट मिले थे.

इस बार के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस तथा वामपंथ में टकराव नहीं है. दोनों मिलकर पश्चिम बंगाल में भाजपा तथा तृणमूल का विरोध कर रहें हैं. कांग्रेस तथा वामपंथ दोनों का वोट होता है 39.64 फीसदी जो करीब-करीब तृणमूल की बराबरी करता है.

एक बार 2014 के लोकसभा चुनाव की भी चर्चा आवश्यक है. 2014 में मोदी की लहर थी जो इस बार कहीं भी नहीं दिख रही है. उल्टे बढ़ती महंगाई, भ्रष्ट्राचार, असहिष्णुता तथा जनता की जमीनी हकीकत में दावे के अनुसार बदलाव न आने का ख़ामियाजा भाजपा को वहां भुगतना पड़ सकता है. इस बीच भाजपा न तो अपने संगठन का बंगाल में विस्तार कर सकी है और न ही उसका कोई बड़ा चेहरा है जो वोट करा सके व बटोर सके.

दावों के विपरीत पश्चिम बंगाल में भाजपा का मत प्रतिशत गिरने वाला है. जिसका सीधा लाभ कांग्रेस-वामपंथ को होगा क्योंकि इस बार न तो लोगों में कांग्रेस-वामपंथ के प्रति गुस्सा है और न ही मोदी के पक्ष में कोई लहर है. उलट तृणमूल कांग्रेस को सत्ता विरोधी गुस्से का सामना करना होगा.

इस तरह से कांग्रेस-वामपंथ के मतों में जो बढ़ोतरी होगी उससे वे सत्तारूढ़ हो सकते हैं. बशर्ते वहां चुनाव में धांधली न हो और मतदाताओं को डराया-धमकाया न जाये.

यदि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस-वामपंथ की सरकार बनती है तो उससे सबसे ज्यादा राजनीतिक नुकसान भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर होगा. इससे जनता के सामने गैर-भाजपा दलों के गठबंधन का एक विकल्प होगा.

इस आकलन के उलट यदि यह मान भी लिया जाये कि भाजपा वहां बेहतर प्रदर्शन करने जा रही है तो वह तृणमूल कांग्रेस को ही वोटों का नुकसान पहुंचायेगी जिसका लाभ कांग्रेस-वामपंथ को होगा.

इसीलिये तो कहा जा रहा है कि भाजपा पश्चिम बंगाल में कांग्रेस-वामपंथ की सरकार बना सकती है.

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