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छत्तीसगढ़ में शिक्षा का हाल बुरा क्यों?

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षा का बुरा हाल है. छत्तीसगढ़ में शिक्षा का स्तर इतना गिरा हुआ है कि गांवों के 8वीं कक्षा के 73.5 फीसदी छात्र-छात्रायें ही 2री कक्षा के पाठ पढ़ सकते हैं. इसी तरह से ग्रामीण छत्तीसगढ़ में 5वीं कक्षा के 56 फीसदी छात्र-छात्रायें ही 3री कक्षा के पाठ पढ़ सकते हैं. छत्तीसगढ़ में पंचायत शिक्षकों के करीब 19 फीसदी पद, प्राथमिक शालाओं के प्रधानपाठक के 60 फीसदी पद, पूर्व माध्यमिक शाला के प्रधानपाठकों के 33 फीसदी पद, हाई स्कूल के प्राचार्य के 70 फीसदी पद तथा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य के 39 फीसदी पद खाली पड़े हैं. बता दें कि छत्तीसगढ़ में कुल 30,371 प्राथमिक स्कूल 13,117 पूर्व माध्यमिक स्कूल 1,940 हाई स्कूल तथा 2,380 हायर सेकेंडरी के स्कूल हैं. उनमें ये पद रिक्त पड़े हैं. जाहिर है कि जब स्कूलों में शिक्षा देने वाले शिक्षकों का ही अभाव है तो शिक्षा का स्तर तो गिरना लाजमी है.

हैरत की बात है कि उस जमाने में जब राज्य में पंजीकृत शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 19 लाख 53 हजार 5 सौ 56 है शिक्षक, प्रधानपाठक तथा प्राचार्य के 36 हजार 38 पद खाली पड़े हुये हैं. इससे साफ पता चलता है कि एक तरफ छत्तीसगढ़ के शिक्षित बेरोजगारों को सही मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है कि उन्हें किस विषय में अध्ययन करना चाहिये. दूसरी तरफ शिक्षा विभाग में 36,038 पद खाली पड़े हैं. जिसका सीधा-सीधा असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है.

शायद यही कराण है कि छत्तीसगढ़ के गांवों में शिक्षा की हालत शोचनीय है. गौरतलब है कि ताजा अध्ययन के अनुसार ग्रामीण छत्तीसगढ़ में 5वीं कक्षा के 56 फीसदी छात्र-छात्रायें ही 3री कक्षा के पाठ पढ़ सकते हैं. जिसमें से सरकारी स्कूलों के 51 फीसदी तथा निजी स्कूलों के 75.9 फीसदी ही 5वीं कक्षा के पाठ पढ़ सकते हैं. यह 2016 का आंकड़ा है. जबकि इसकी तुलना में 2010 में 5वीं कक्षा के 61.6 फीसदी छात्र-छात्रायें 3री कक्षा के पाठ सकते थे. इसका अर्थ यह हुआ कि पिछले 6 सालों में ग्रामीण शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है.

इसी तरह से 8वीं कक्षा के 73.5 फीसदी छात्र-छात्रायें ही 2री कक्षा के पाठ पढ़ सकते हैं. जिसमें 70.9 फीसदी सरकारी स्कूलों के तथा 89.9 फीसदी निजी स्कूलों में पढ़ते हैं. यह 2016 का ताजा आंकड़ा है. इसकी तुलना में 2010 में 8वीं कक्षा के 92.7 फीसदी छात्र-छात्रायें 2री कक्षा के पाठ पढ़ सकते हैं. यहां भी शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है.

इसी तरह से 3री कक्षा के 28.1 फीसदी छात्र-छात्रायें 2री कक्षा के पाठ पढ़ सकने की हालात में हैं. इसमें साल 2010 की तुलना में सुधार आया है. साल 2010 में मात्र 11.3 फीसदी ही 2री कक्षा के पाठ पढ़ने में सक्षम पाये गये थे.

जहां तक गणित का सवाल है यह पाया गया कि 3री कक्षा के 3.8 फीसदी छात्र-छात्रायें 1 से 9 तक की संख्या को नहीं पहचान पाते हैं. 38.6 फीसदी 9 तक की संख्या को पहचान पाते हैं परन्तु 99 तक की संख्या को वे नहीं पहचान पाते हैं. 37.6 फीसदी 99 तक की संख्या को पहचान पाते हैं परन्तु इन्हें घटाना नहीं आता है. 16.5 फीसदी को घटाना आता है परन्तु उन्हें विभाजन करना नहीं आता है.

कक्षा 5वीं के 23.1 फीसदी छात्र-छात्राओं को विभाजन आता है जबकि साल 2010 में इससे ज्यादा 38.9 फीसदी को विभाजन आता था. इसी तरह से कक्षा 8वीं के 28.1 फीसदी को विभाजन आता है जबकि साल 2010 में 77.6 फीसदी को विभाजन आता था. इस तरह से इस मामले में भी शिक्षा का स्तर गिरा है.

जहां तक अंग्रेजी पढ़ने की बात है 3री कक्षा के 22.8 फीसदी छात्र-छात्रायें अंग्रेजी का कैपिटल लेटर नहीं पढ़ पाते हैं. 23.2 फीसदी अंग्रेजी का कैपिटल लेटर पढ़ सकते हैं परन्तु स्माल लेटर नहीं पढ़ सकते हैं.

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