राष्ट्र

मंदिर में महिलाओं को प्रवेश नहीं मिला

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: अदालती आदेश के बाद भी शनि सिंगणापुर के मदिर में प्रवेश से रोका गया. महिलाओं को मंदिर प्रवेश से रोकने का काम कथित तौर पर ग्रामनीमों ने किया. महाराष्ट्र के अहमदनगर में शनि शिंगणापुर मंदिर में शनिवार को विभिन्न संगठनों की महिला कार्यकर्ताओं ने प्रवेश का प्रयास किया लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया बल्कि ग्रामीणों ने उनके साथ मारपीट की. यहां महिला कार्यकर्ताओं ने इसके लिए भाजपा के नेतृत्ववाली महाराष्ट्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया.

बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा था कि पूजा स्थलों पर जाने से रोकने वाला कोई कानून नहीं है. इसलिए किसी मंदिर में जाने में उनके साथ लैंगिक भेदभाव नहीं होगा.

उधर शनिवार को सैकड़ों ग्रामीणों ने जिनमें अधिकांश महिलाएं थीं, मानव श्रृंखला बनाकर शनि शिंगणापुर मंदिर में दर्शन के लिए जाने वाली महिलाओं को रोक दिया.

विभिन्न संगठनों की महिला कार्यकर्ताओं ने न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि धार्मिक अधिकारों में लैंगिक भेदभाव नहीं होना चाहिए.

उन्होंने मंदिर में प्रवेश का रास्ता नहीं बनाने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया.

माकपा नेता बृंदा करात ने कहा महाराष्ट्र सरकार पर न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र सरकार के कानून बिल्कुल स्पष्ट हैं. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मंदिर में प्रवेश को इच्छुक महिला कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और रास्ता मुहैया कराने के लिए पुलिस को कहा गया था.”

करात ने अदालत से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि न्यायालय इस हालात के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करे.

कांग्रेस नेता प्रियंका चतुर्वेदी, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेन्स एसोसिएशन की अध्यक्ष और भाकपा की नेता शुभलक्ष्मी अली, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेन्स एसोसिएशन की सचिव कविता कृष्णन, सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी ने अलग-अलग बातचीत में अदालत के फैसले को ऐतिहासिक बताया है और महिलाओं को मंदिर में प्रवेश नहीं दिए जाने के लिए महाराष्ट्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

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