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काला धन: CBI के ताबड़तोड़ छापे

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: सीबीआई ने 6,172 करोड़ रुपये हांगकांग भेजे जाने के मामलें में रविवार ताबड़तोड़ छापेमारी की है. सीबीआई ने उत्तरी दिल्ली के अशोक विहार स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा द्वारा दिए गए पते पर ये छापे मारे. सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, “कंपनियों द्वारा दिए गए अधिकांश पते फर्जी थे. दिल्ली के 50 स्थानों पर छापेमारी जारी रखी गई.”

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो ने उत्तरी दिल्ली में स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा की एक शाखा पर शनिवार को छापा मारा था और बैंक शाखा द्वारा किए गए 6,172 करोड़ रुपये के लेनदेन को लेकर 59 खाताधरकों और अनाम बैंक अधिकारियों तथा निजी लोगों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था. यह धनराशि बैंक में पहले नकदी के रूप में जमा की गई और उसके बाद उसे हांगकांग भेज दिया गया. बैंक की यह शाखा विदेशी पूंजी से संबंधित लेनदेन करती है.

सीबीआई ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से संबंधित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दायर किया.

छापे की यह कार्रवाई तब की गई, जब कांग्रेस ने एक दिन पूर्व नरेंद्र मोदी सरकार पर बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा में हुए लेनदेन के संबंध में नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला था. कांग्रेस ने कहा था कि यह लेनदेन नियम विरुद्ध है.

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने शनिवार को इस लेनदेन को काले धन का एक बड़ा घोटाला बताया और सवाल किया कि वित्तमंत्री अरुण जेटली और प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक महीने तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपनी अंतरिम ऑडिट रपट सरकार को सौंप दी थी.

सीबीआई ने एक बयान में कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के साथ मिलकर बैंक ऑफ बड़ौदा की अशोक विहार शाखा, और दो बैंक अधिकारियों के आवासीय परिसरों सहित तीन परिसरों पर छापे मारे गए.

बयान में कहा गया है, “सीबीआई ने 59 मौजूदा खाताधारकों और अनाम बैंक अधिकारियों और अन्य नागरिकों के खिलाफ बैंक ऑफ बड़ौदा की एक शिकायत पर एक मामला दर्ज किया गया है.”

बयान में कहा गया है, “आरोप है कि 59 मौजूदा खाताधारकों और अनाम बैंक अधिकारियों ने विदेशों में, ज्यादातर हांगकांग में विदेशी मुद्रा के रूप अवैध तरीके से और अनियमित तरीके से लगभग 6,000 करोड़ रुपये का विप्रेषण भेजने की साजिश रची, जो स्थापित बैंकिंग नियमों के खिलाफ है.”

बयान में कहा गया है कि छापे के दौरान बरामद आपत्तिजनक दस्तावेजों की जांच की जा रही है.

सिब्बल ने कहा, “चकित करने वाली बात यह है कि बैंक की आंतरिक ऑडिट रपट में घोटाला उजागर होने और इस बारे में वित्त मंत्रालय को सूचित करने के बावजूद मंत्रालय ने इसकी अनदेखी की और इस पूरे मामले पर मौन साधे रहा और इसकी जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाया.”

सिब्बल ने इस मुद्दे पर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया था.

उन्होंने सवाल किया, “प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री इस मामले में मौन क्यों हैं? उन्होंने स्पष्टीकरण क्यों नहीं दिया और कोई बयान क्यों नहीं दिया कि आखिर इस काले धन के भारी घोटाले का दोषी कौन है?”

कांग्रेस प्रवक्ता आर.पी.एन. सिंह ने शुक्रवार को कहा था कि चावल, दालें और काजू जैसी उपभोक्ता वस्तुएं मंगाने के लिए 6,172 करोड़ काला धन देश से बाहर भेजा गया है, लेकिन इस बात की छानबीन नहीं हुई कि उपभोक्ता वस्तुएं आईं या नहीं.

सिंह ने इस घोटाले की एक स्वतंत्र जांच कराने की मांग करते हुए कहा था कि बैंक के 59 खातों में पहले ही धनराशि जमा कर दी गई थी और तीन कंपनियों ने जो पते दिए हैं, उनका अता-पता नहीं है.

सिंह ने कहा कि सरकार को घोटाले की जानकारी है, क्योंकि बैंक ने एक जांच की थी. सिंह ने सवाल किया कि इस बारे में प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई.

उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक अधिकारियों को वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है. उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने की मांग की.

सिंह ने आरोप लगाया था, “सरकार हमें बताती है कि उसने 4,000 करोड़ रुपये काला धन वापस लाया है. लेकिन डेढ़ साल में 6,172 करोड़ रुपये हांगकांग चले गए. धन बाहर जा रहा है और वह भी बगैर दस्तावेज के.”

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