देश में सबसे गरीब है छत्तीसगढ़
रायपुर | संवाददाता: केंद्र की मोदी सरकार के अनुसार छत्तीसगढ़ देश का सबसे ग़रीब राज्य है.तेंदुलकर कमेटी की पद्धति के आधार पर निकाले गये ग्रामीण गरीबी के यह आंकड़े केंद्र सरकार के ही हैं. पिछले 14 साल के भाजपा शासनकाल में इस स्थिति को सुधारने की कोशिश के बाद थोड़ा बदलाव तो आया है लेकिन गरीबी को कम करने की दिशा में अभी और काम किये जाने की जरुरत है. अभी जबकि छत्तीसगढ़ में विकास के आंकड़ों की बात चल रही है, तब इन आंकड़ों की पड़ताल दिलचस्प है.
केंद्र सरकार के आंकड़ों की मानें तो गरीबी रेखा से नीचे रह रही ग्रामीण जनसंख्या देश में 216.65 मिलियन थी. योजना आयोग के 2011-12 के आंकड़ों के आधार पर सरकार ने यह आंकड़ा पेश किया था.
इसी साल 25 जुलाई को लोकसभा में केंद्र सरकार ने माना कि देश में 1 मार्च 2012 की जनसंख्या के आधार पर जो आंकड़े सामने आये हैं, उसके अनुसार 2697.83 लाख लोग देश में गरीबी रेखा से नीचे हैं.
भयावह ये है कि इस आंकड़े के अनुसार ग्रामीण गरीबी के मामले में छत्तीसगढ़ देश में सबसे गरीब है. तेंदुलकर पद्धति से निकाले गये इस आंकड़े के अनुसार छत्तीसगढ़ में ग्रामीण गरीबी का प्रतिशत 44.61 है, जो देश में सर्वाधिक है. हरियाणा में गरीबों का प्रतिशत 11.64 है तो पंजाब में 7.66. इसी तरह हिमाचल में 8.48, केरल में 9.14, मेघालय में 12.53, , सिक्किम में 9.85, उत्तराखंड में 11.62 प्रतिशत ग्रामीण आबादी गरीब है.
अगर सात केंद्र शासित प्रदेशों को मिला कर देखें तो भी छत्तीसगढ़ देश में ग्रामीण गरीबी के मामले में दूसरे नंबर पर है. इस मामले में देश में सर्वाधिक गरीब ग्रामीण आबादी दादर एवं नगर हवेली की है, जहां 62.59 प्रतिशत गरीबी है. लेकिन दूसरे केंद्र शासित प्रदेशों का आंकड़ा विपरित है. लक्षद्वीप और दमन व द्वीव में ग्रामीण गरीबी शून्य प्रतिशत है. इसी तरह चंडीगढ़ में यह 1.64 प्रतिशत और अंडमान में 1.57 प्रतिशत, पुदुचैरी में 17.06 प्रतिशत और दिल्ली में 12.92 प्रतिशत है.
छत्तीसगढ़ के मामले में केंद्र की सी रंगराजन कमेटी के आंकड़े तो और भी भयावह हैं. यह कमेटी तेंदुलकर कमेटी की सिफारिशों के परीक्षण के लिये बनाई गई थी. इसके अनुसार छत्तीसगढ़ देश में सबसे गरीब है और गरीबी का आंकड़ा 47.9 प्रतिशत है. यानी तेंदुलकर कमेटी ने 44.61 प्रतिशत का ग्रामीण गरीबी का जो आंकड़ा पेश किया था, रंगराजन कमेटी ने उससे कहीं अधिक भयावह स्थिति पाई और बताया कि 47.9 प्रतिशत लोग गरीब है.
इधर वर्ल्ड बैंक की 2012 की रिपोर्ट बताती है कि छत्तीसगढ़ में 1994 में 51 प्रतिशत आबादी गरीब थी. 2005 में यह आंकड़ा 51 पर ही अटका रहा. लेकिन 2012 में यह आंकड़ा कम हुआ है. वर्ल्ड बैंक की यह रिपोर्ट बताती है कि छत्तीसगढ़ से कम आय वाले राज्यों की गरीबों की संख्या में तो सुधार हुआ है लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं है.
Pm jo videshon jakar karodo arbo rupya kharch karti hai agar us paisa ko c.g.ke garibon ko diya jata to aaj cg me garibi dur ho jati