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काला धन तुम कब आओगे?

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: अदालत को दी गई 627 नामों से 427 पहचाने गये हैं तथा 250 ने इसे स्वीकार किया है. इसी के साथ बुधवार को संसद में यह सवाल उठा कि विदेशों में जमा काला धन कब देश में वापस लाया जा सकेगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि इसका आकार 466 अरब डॉलर से 14 खरब डॉलर का हो सकता है. गौरतलब है कि संसद के पहले कामकाजी दिन में विपक्ष ने सरकार को काला धन के मुद्दे पर जमकर घेरा. विपक्ष के सवालों के जवाब में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए काफी कुछ किया गया है और 250 लोगों ने विदेशों में बैंक खाते होने की बात स्वीकार की है. जेटली ने संसद के ऊपरी सदन, राज्यसभा में काले धन पर बहस का जवाब देते हुए कहा, “मुद्दा नामों का खुलासा करने या न करने का नहीं है, बल्कि कितना और कब खुलासा करने का है.”

जेटली ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीयों द्वारा विदेशों में जमा किए गए काले धन के सबूत भारतीय सीमा के बाहर है, लिहाजा सरकार पहले अन्य देशों से सबूत जुटा ले.

कुछ विपक्षी सदस्यों ने मांग की कि सरकार काला धन जमा करने वालों के नाम सार्वजनिक करे, क्योंकि उनके बारे में मीडिया में पहले से चर्चा जारी है. इस पर जेटली ने आश्वस्त किया, “नाम सार्वजनिक किए जाएंगे.”

जेटली ने कहा, “उचित प्रक्रिया का पालन किए बगैर नामों को सार्वजनिक करने से केवल खाताधारकों को ही लाभ होगा.”

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार काले धन के खिलाफ अभियान का दायरा बढ़ाने के लिए अन्य देशों के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही है.

जेटली ने कहा कि फिलहाल की स्थिति यह है कि स्विस प्रशासन को इस बात के लिए राजी कर लिया गया है कि वह कम से कम उन सबूतों की सच्चाई सत्यापित कर दे, जो इन खाताधारकों के बारे में विभिन्न स्रोतों से भारत सरकार को प्राप्त हुए हैं.

जेटली ने कहा, “दूसरे चरण में अब हम जानकारियों के स्वत: आदान-प्रदान पर एक बातचीत शुरू करेंगे. हम दुनिया के सभी देशों के साथ कर सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की व्यवस्था कायम करने जा रहे हैं.”

वित्त मंत्री ने कहा कि विदेशी बैंकों में खाता रखने वाले 627 भारतीयों में जो सूची सर्वोच्च न्यायालय को सौंपी गई है में से 427 की पहचान की जा चुकी है. इनमें से 250 ने ऐसे खातों की बात स्वीकार ली है.

जेटली ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का पहला काम काले धन के मुद्दे की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित करना था. और इस दल को ये सारे नाम सौंप दिए गए हैं.

उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल द्वारा चलाई जा रही है, कि आवश्यक सबूत और अभियोजन हासिल करने के लिए अगला तर्कसंगत कदम क्या उठाया जाए.

जेटली ने सरकार की ओर सर्वोच्च न्यायालय में कही गई बात भी दोहराई.

सूची में शामिल सभी 627 नाम जेनेवा स्थित एचएसबीसी बैंक की एक शाखा में हैं और इनके बारे में जानकारी फ्रांस सरकार से प्राप्त हुए हैं. जानकारी वास्तव में बैंक के एक कर्मचारी द्वारा चुराई गई थी, जिसके कारण स्विस प्रशासन ने किसी तरह की मदद से इंकार कर दिया.

जहां तक एचएसबीसी का सवाल है, बैंक ने कहा था कि यदि भारत सरकार खाताधारकों से अनापत्ति प्रमाण प्राप्त कर ले तो खातों के बारे में जानकारी दी जा सकती है. कोई 50-60 खाताधारकों ने अपनी सहमति दे दी है. सर्वोच्च न्यायालय को यह बता दिया गया है.

जेटली ने कहा, “हम इस पर पूरी तरह लगे हुए हैं. लंबा इंतजार नहीं करना है.”

वित्त मंत्री ने कहा, “हम एक अंधे मोड़ पर है, कि इन जानकारियों का क्या किया जाए. हम खातों की पहचान को लेकर बहुत गंभीर हैं.”

जेटली ने कहा कि भारत काले धन के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे निकल रहा है, जैसा कि हाल में आस्ट्रेलिया में जी-20 शिखर सम्मेलन में चर्चा हुई है.

भारत के पास विदेशों में जमा काले धन का कोई सटीक आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन अनधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यह राशि 466 अरब डॉलर से 14 खरब डॉलर हो सकती है. उल्लेखनीय है कि काले धन पर तमाम तरह के तर्को के बीच देश की जनता चाहती है कि इसे देश में वापस लाया जाये जिसकी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है. वहीं, वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आश्वस्त किया कि देर से ही सही काला धन देश में जरूर वापस आएगा.

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