छत्तीसगढ़

जज अपनी अदालत पर नियंत्रण रखे

बिलासपुर | संवाददाता: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा जज अपनी अदालत पर नियंत्रण रखें. बिलासपुर में न्यायिक अधिकारियों के दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुये उन्होंने कहा कि जज अपने अदालत की पेशियों की तारीख खुद तय करें, रीडर को न करने दे. उन्होंने कहा कि किस मामले की सुनवाई कब करनी है कितनी देर करनी है या नहीं करनी है इसका फैसला भी उन्हें स्वयं करना चाहिये. गौरतलब है कि जस्टिस दीपक गुप्ता हाल ही में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद से सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बने हैं.

मुख्य अतिथि जस्टिस गुप्ता ने न्यायिक अधिकारियों से कहा कि प्रत्येक जज को अपनी छवि का ध्यान रखना होगा. उनके फैसले पक्षपात रहित और निर्भीक होने चाहिये. एक जज को अखंडता, ईमानदारी, समझौता विहीन और भ्रष्टाचार के विरुद्ध शून्य सहिष्णु होना चाहिये. कानून की किताबों के अलावा उन्हें अध्ययन के लिए समय निकालना चाहिये, क्योंकि निर्णय तो कानून की किताबों को देखकर दिया जा सकता है पर न्याय देने के लिए उनको संवेदनशील होना चाहिये.

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि न्यायिक अधिकारी अपनी अदालत की प्रत्येक गतिविधि के लिए जवाबदेह होता है. अदालत में उसका प्रशासनिक नियंत्रण भी पूरी तरह होना चाहिये. किसी भी केस में आरोपों का निर्धारण करते समय जज को उस केस की पूरी फाइल पढ़नी चाहिये. यह काम वकील या अभियोजक का नहीं है.

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि आपकी अदालतों में जो लोग आते हैं उनके साथ आपको सामान्य शिष्टाचार के बर्ताव का ध्यान रखना चाहिये. यह नहीं भूलना चाहिये कि एक फरियादी के पास न्याय पाने का अधिकार है और उसे यह अधिकार देश के संविधान से मिला हुआ है.

प्रशासनिक दक्षता पर जोर देते हुये न्यायिक अधिकारियों से उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने के लिये जरुरी होता है कि निर्धारित समय सुबह 11 बजे से कोर्ट की कार्रवाई शुरू कर दी जाये. अमूमन वकील ही 12 बजे पहुंचते हैं और ऐसे में आपकी सुनवाई करने वाले मामलों की संख्या घट जाती है. समय के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे तो आप न्याय में तेजी तो ला ही सकेंगे, बचे हुए समय का अध्ययन के लिए उपयोग कर सकेंगे.

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि प्रदेश की निचली अदालतों में करीब 2 लाख 19 हजार केस हैं और प्रदेश में जजों की संख्या 350 है. औसतन एक कोर्ट में 6-7 सौ केस हैं, जो देश के औसत एक हजार से कम है. अतः काम के दबाव में फैसले की गुणवत्ता प्रभावित होने की बात यहां लागू नहीं होती.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के सभागार में शनिवार से प्रदेश भर के न्यायिक अधिकारियों की दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई. इसके उद्घाटन सत्र में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थोट्टाथिल भास्करन नायर राधाकृष्णन, आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के जज जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम विशेष रूप से उपस्थित थे.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थोट्टाथिल भास्करन नायर राधाकृष्णन ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों को सर्विस मोड में रहना चाहिये. उन्हें न्याय की गरिमा और संविधान के मूल्यों का कड़ाई से पालन करना चाहिये. उनके फैसलों में मानवीय संवेदनाओं को स्थान होना चाहिये. आपके फैसले लोगों के लिये उदाहरण बनें.

न्यायिक अकादमी निगरानी समिति के चेयरमेन जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने स्वागत उद्बोधन दिया. उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद जस्टिस गुप्ता का यह पहला अधिकारिक कार्यक्रम है. इसके अलावा चीफ जस्टिस राधाकृष्णन भी हाईकोर्ट के पहले किसी अधिकारिक कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं. आभार प्रदर्शन जस्टिस मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने किया.

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